उत्तर कोरिया ने जारी की नए इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल की तस्वीरें, कहा- पूरा अमेरिका जद में

तोक्यो
उत्तर कोरिया ने गुरुवार को अपने नए अंतरमहाद्वीपीय बलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-15 की दर्जनों तस्वीरों को जारी किया। साथ ही उसने दावा किया कि यह बलिस्टिक मिसाइल अमेरिका में किसी भी टारगेट तक पहुंचने में सक्षम है। मिसाइल की तस्वीरें उत्तर कोरिया की सत्ताधारी पार्टी के अखबार में प्रकाशित हुई हैं। इन तस्वीरों के बाद विशेषज्ञ विश्लेषण में जुटे हैं कि उत्तर कोरिया का नया मिसाइल कितना घातक है।

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विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर कोरिया का नया मिसाइल पहले से बड़ा और तकनीक के मामले में आधुनिक है। इसके लिए उत्तर कोरिया ने अपने ही यहां बनाए गए मोबाइल लॉन्चर का इस्तेमाल किया है। हालांकि विशेषज्ञों ने मिसाइल की क्षमता को लेकर संदेह जताया है कि यह पश्चिमी तट तक शायद ही पहुंच सके।

नए मिसाइल पर विशेषज्ञों की राय

मिसाइल
उत्तर कोरिया का नया मिसाइल पहले के ह्वासोंग-14 ICBM से बड़ा दिख रहा है। उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-14 का इस साल जुलाई में 2 बार परीक्षण किया था। मिसाइल की तस्वीरों के ऑनलाइन पब्लिश होने के ठीक बाद कैलिफॉर्निया के सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज के रिसर्चर माइकल डट्समैन ने ट्वीट किया, ‘यह बहुत बड़ा मिसाइल है…और मेरा मतलब यह नहीं है कि यह सिर्फ नॉर्थ कोरिया के लिहाज से बड़ा है। सिर्फ कुछ देश ही इस आकार का मिसाइल बना सकते हैं और उत्तर कोरिया इस क्लब में शामिल हो चुका है।’

लॉन्चर
उत्तर कोरिया ने बुधवार को ह्वासोंग-15 मिसाइल के परीक्षण का ऐलान किया था। उसने शेखी बघारते हुए कहा कि मिसाइल को देश में ही बने इरेक्टर-लॉन्चर वीइकल के जरिए फायर किया गया। अब उसने जो तस्वीरें जारी की है उससे भी इस बात की पुष्टि होती है। अपने यहां ही मोबाइल लॉन्च वीइकल्स बनाने की क्षमता हासिल करके उत्तर कोरिया अब इसके लिए चीन जैसे दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहा। मिसाइल तकनीक के मामले में यह उसकी ऊंची छलांग है।

पेलोड
उत्तर कोरिया दावा करता है कि ह्वासोंग-15 ‘सुपर हैवी’ न्यूक्लियर पेलोड को अमेरिका के भीतर किसी भी लक्ष्य तक पहुंचाने में सक्षम है। तस्वीर को देखकर भी लग रहा है कि मिसाइल काफी बड़ा है। लेकिन यहां यह बात खासा महत्वपूर्ण है कि लोड जितना ज्यादा होगा, मिसाइल का रेंज उतना ही छोटा होगा। जाने-माने मिसाइल विशेषज्ञ माइकल एलमैन ने कहा कि उत्तर कोरिया के मिसाइल को अमेरिका तक मार करने के लिए जरूरी है कि उसपर लगा न्यूक्लियर बम 350 किलोग्राम से ज्यादा वजन का न हो। उन्होंने कहा कि 600 किलोग्राम के पेलोड के साथ शायद ही यह मिसाइल अमेरिका तक पहुंच सके।

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