ई-कॉमर्स फर्मों के खिलाफ केंद्र को मिली सबसे ज्यादा शिकायतें

अमन शर्मा, नई दिल्ली
केंद्र सरकार को पिछले साल मिलीं उपभोक्ता मामलों से जुड़ी सबसे ज्यादा शिकायतें दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ थीं। क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) को इसका पता केंद्र को मिली शिकायतों की प्रकृति का अध्ययन करने पर चला है। इसको देखते हुए क्यूसीआई ने सरकार को ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियों के नाम लंबित शिकायतों के साथ सार्वजनिक करने का सुझाव दिया है। क्यूसीआई की रिपोर्ट मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर पीएमओ जितेंद्र सिंह ने जारी की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को मिलीं सबसे ज्यादा शिकायतें अवैध गोवध से संबंधित थीं। मिनिस्ट्री ऑफ इन्फर्मेशन ऐंड ब्रॉडकास्टिंग (एमआईबी) को सबसे ज्यादा शिकायतें सेट टॉप बॉक्स कंपनियों के खिलाफ मिलीं। एमआईबी को मिली शिकायतों के सिग्नल नहीं मिलने और नेटवर्क बाधित होने से जुड़े थे। सिविल एविएशन मिनिस्टर को सबसे ज्यादा शिकायतें एयर इंडिया की सर्विस को लेकर मिली थीं। 2016 में केंद्र सरकार के 88 मंत्रालयों और विभागों को लगभग 12 लाख शिकायतें मिलीं जो साल भर पहले के 8.7 लाख शिकायतों से बहुत ज्यादा थीं। क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने शिकायतों का विश्लेषण करने, उसकी मूल वजह जानने और सरकार को उसमें कमी लाने के लिए व्यवस्थित बदलाव के बारे में सुझाव देने के लिए स्टडी की थी।

पढ़ें, घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्लोबल बनने में मदद देगी सरकार

क्यूसीआई रिपोर्ट के मुताबिक, ई-कॉमर्स कंपनियों के मामले में शिकायतें प्रॉडक्ट्स की क्वॉलिटी चेक को लेकर अस्पष्ट गाइडलाइंस, रिफंड का मानक तरीका नहीं होने, डिलिवरी और एक्सचेंज पॉलिसी से जुड़ी थीं। शिकायतों में यह भी कहा गया था कि इन कंपनियों के संबंध में दाम और डिस्काउंट का कोई रेग्युलेशन नहीं होता और उनकी कस्टमर सर्विस भी खराब है। इसमें कहा गया है कि ऐसी शिकायतों की वजह यह है कि ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शंस को लेकर कोई पॉलिसी नहीं है। ना ही इन कंपनियों की तरफ से बेचे जाने वाले सामान की क्वॉलिटी की पड़ताल होती है। कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों के पास रिटर्न, एक्सचेंज और डिलिवरी को लेकर स्पष्ट नीति नहीं है।

क्यूसीआई ने कहा है कि जिन कंपनियों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतें ज्यादा हैं, उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं। उसके मुताबिक, इससे कंपनियां कामकाज में सुधार के लिए मजबूर होंगी। रिपोर्ट में रियल टाइम ग्रीवंस फॉरवर्डिंग सिस्टम बनाने का सुझाव दिया गया है। कहने का मतलब यह है कि जो भी शिकायत कंपनियों के खिलाफ मिलेगी, उसकी जानकारी सरकार और कंपनियों को तुरंत हो जाएगी। इससे उन्हें सुलझाना आसान होगा। पर्यावरण मंत्रालय के पास सबसे अधिक शिकायतें सब्सिडी और बूचड़खानों को टैक्स बेनिफिट्स के चलते अवैध गोवध से जुड़ी हैं।

क्यूसीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोवध से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार की तरफ से पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं। आईटी मिनिस्ट्री को पॉर्न साइट्स बंद करने और इसे बैंकिंग अकाउंट के जरिये चार्जेबल बनाने को कहा गया है, ताकि नौजवान इसे देखना बंद कर दें। क्यूसीआई ने कहा है कि अडवांस टेक्नॉलजी और फायरवॉल की मदद से सरकार पॉर्न साइट्स को बैन करने की संस्थागत प्रक्रिया तय कर सकती है। हालांकि, उसने यह भी कहा है कि हर पॉर्न साइट को बंद करने के लिए पेचीदा कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business