ईरान के साथ संबंधों पर भारत को खुद लेना चाहिए फैसला: अमेरिका

वॉशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा ईरान को कट्टर शासन वाला देश बताते हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते को समाप्त करने की चेतावनी देने के कुछ दिनों बाद अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत को अपने हितों को देखते हुए ईरान के साथ संबंधों पर फैसला लेना चाहिए। ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी से जब भारत द्वारा ईरान में रणनीतिक रूप से महत्व वाला चाबहार बंदरगाह विकसित करने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि साथ ही इस समय देशों को ईरान में अपने कारोबारी साझेदारों के साथ दृढ़ता से विचार करना चाहिए।

अधिकारी ने बताया, ‘भारत को अपना फैसला लेना चाहिए कि वह अपने हितों को किस तरह देखता है।’ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी के बीच मई 2016 में विस्तृत चर्चा होने के बाद चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। समझौते के अनुसार भारत 8.521 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद से पहले चरण में चाबहार बंदरगाह के पहले चरण में दो बर्थ को उपकरण मुहैया कराने के साथ ही इसका संचालन करेगा।

यहां 10 वर्ष के पट्टे पर सालाना 2.295 करोड़ अमेरिकी डॉलर राजस्व खर्च आएगा। उन्होंने कहा, ‘हम यह कह रहे हैं कि सभी देशों को इस पर दृढ़ता से सोचना चाहिए कि आप ईरान में किसके साथ कारोबार कर रहे हैं और इन कंपनियों के आधिकारिक लाभार्थी मालिक कौन हैं।’ अधिकारी ने ईरान के इस्लामिक रेवलूशनली गार्ड कार्प्स (आईआरजीसी) द्वारा नियंत्रित कंपनियों के साथ कारोबार समझौते पर चेतावनी दी है।

आईआरजीसी का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि देशों को यह भी देखना चाहिए इन कंपनियों का संबंध उन समूहों से कैसे हैं जो आतंकवाद को फैलाने में योगदान देते हैं।

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