इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेशकों की चीन के OBOR से ज्यादा भारत में दिलचस्पी

नई दिल्ली
चीन भले ही महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ (OBOR) का ढोल पूरी दुनिया में पीट रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि एशिया के कई बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेशक भारत में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्हें चीन के OBOR से अधिक भारत से रिटर्न की उम्मीद है। ब्लूमबर्ग इन्वेस्ट ऑस्ट्रेलिया समिट में निवेशकों ने जो कहा वह चीन को टेंशन देने के लिए काफी है।

मैक्वायर इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड रियल एसेट्स के एशिया पसिफिक को-हेड फ्रैंक कोक ने कहा कि आर्थिक तरक्की और सरकारी विनिवेश की वजह से भारत उनके ग्रुप के लिए अहम बाजार है। इसलिए उन्होंने महंगाई दर से जुड़े चारज वाले 9 टोल रोड खरीदे हैं। फ्रैंक ने बुधवार को कहा कि चीन का बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट इन्वेस्टमेंट रिटर्न की बजाय भू-राजनीति से संचालित है।

ब्लूमबर्ग के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘यह चीन की अगुआई वाली पहल है, लेकिन वास्तव में यह पूरे क्षेत्र के लिए है। लेकिन चीन इसे क्षेत्र में अपने प्रभाव को स्थापित करने के लिए चला रहा है इसलिए फाइनैंशल रिटर्न प्राथमिकता पर नहीं है।’

एशियन डिवेलपमेंट बैंक (ADB) के मुताबिक, एशिया के विकासशील देशों को आर्थिक तरक्की हासिल करने और गरीबी हटाने के लिए सड़क, पुल, बंदरगाह, रेलवे जैसे प्रॉजेक्ट्स पर 22.6 ट्रिल्यन डॉलर खर्च करना होगा। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2013 में OBOR का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत रेलवे, सड़क, बंदरगाह और पावर ग्रिड्स पर एक दशक में 1.2 ट्रिल्यन डॉलर खर्च करने की योजना है। घरेलू कंपनियों के अवसर बढ़ाने के मकसद इसे लाया गया है, लेकिन यह दुनिया के कुछ बड़े विवादित इलाकों और दुनिया के सबसे अधिक भ्रष्ट देशों से भी गुजरता है।

कैस डे डिपो एट प्लेसमेंट डू क्यूबेक के एशिया पसिफिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रांजैक्शन्स हेड, कनाडा के दूसरे सबसे बड़े पेंशन फंड मैनेजर सायरल काबानेस ने कहा कि भारत अभी भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि संभावनाएं स्पष्ट हैं, लेकिन सौदे धीमी गति से आएंगे। उन्होंने कहा, ‘बाजार के आकार को सब जानते हैं, लेकिन बाजार में आ रहे सौदों की रफ्तार वास्तव में कम है।’

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