आर्थिक मदद में भेदभाव कर रही है सरकार

ग्रेटर नोएडा के मिर्जापुर गांव में 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर अपने दोनों हाथ गंवाने वाली 11 साल की बच्ची देवकी के परिजनों को दी गई आर्थिक मदद पर विवाद शुरू हो गया है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि इसी तरह के मामले में दनकौर के उस्मानपुर निवासी सायरा बानो के परिजनों को 5 लाख रुपये की मदद और फ्री इलाज की सुविधा दी गई थी, जबकि उन्हें विभाग की ओर से केवल दो लाख रुपये का चेक दिया गया। बेटी के इलाज के लिए उन्हें अपना घर भी गिरवी रखना पड़ गया है।
वहीं, इस घटना के बाद इस बच्ची की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। पहले अपने परिजनों के काम में हाथ बंटाने वाली बच्ची अब खुद दूसरों के लिए काम बन गई है। जब वह छोटी थी तो मां खुश होकर उसे अपने हाथों से खाना खिलाती थी। वह खाना अब फिर से खिलाती है, लेकिन अब उनकी आंखों में आंसू होते हैं। उसका स्कूल छूट गया है। महेंद्र सिंह की बेटी देवकी 7 जुलाई को बिजली की हाइटेंशन लाइन की चपेट में आ गई थी। महेंद्र सिंह ने बताया कि बिजली विभाग एसडीओ सोनू रस्तोगी एवं एसडीएम सदर सुभाष यादव शनिवार को उनके पास दो लाख रुपये का चेक लेकर आए। उन्होंने इस पर विरोध जताया और कहा कि उस्मानपुर में सायरा बानो के साथ भी इसी तरह का हादसा हुआ था। उसे इसी साल 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली। उन्होंने प्रदेश सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने चेक लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, शाम को समझाने पर उन्होंने चेक ले लिया। उनका कहना है कि चेक भले ही ले लिया है, लेकिन यह बेहद कम है। सायरा बानो की तरह उनकी भी मदद होनी चाहिए। आर्थिक तंगी के चलते पीड़ित पिता ने सीएम को भी लेटर लिखा था, लेकिन अब तक मदद नहीं मिली है।

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