आरडब्ल्यूए के लिए फिर एक्टिव हुई शीला

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कांग्रेस नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक बार फिर भागीदारी के तहत रजिस्टर्ड हजारों रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशनों को जिंदा करने के लिए एक्टिव हो रही हैं। रविवार को वह नार्थ दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन द्वारा घंटाघर एरिया में एक सभा को संबोधित करेंगी। शीला दीक्षित का कहना है कि मौजूदा सरकार इन असोसिएशनों की पूरी तरह से अनदेखी कर रही है। उनकी परेशानियों को नहीं सुना जा रहा है, लिहाजा उनकी परेशानियों को सुनने के लिए और उनका हल ढूंढने के लिए वे इस सभा में जा रही हैं। राजधानी में सरकार और लोगों के बीच तालमेल बिठाने के लिए शीला सरकार ने साल 2000 में भागीदारी की शुरूआत की थी। 2002 में भागीदारी के तहत 32 रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनें जुड़ गईं थी। भागीदारी की अंतिम मीटिंग 2012 में हुई थी, तब आरडब्ल्यूए की संख्या 4216 तक पहुंच गई थी। भागीदारी के तहत रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनों के साथ मार्केट ट्रेडर असोसिएशनें भी जुड़ी थी। 2007 में सरकार ने ‘माई दिल्ली आई केयर फंड’ की शुरूआत की थी। इस फंड के तहत हर जिले में 5 करोड़ का बजट दिया जाता था। महीने में एक मीटिंग होती थी। आरडब्ल्यूए के सुझावों पर काम किए जाते थे। 2007 से लेकर 2012 तक इस फंड से 6227 काम किए गए। हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अब मौहल्ला सभाओं के जरिए काम की शुरूआत की गई है। नॉर्थ दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन का कहना है कि उनकी सरकार से मांग है कि महीने में कम से कम एक बार आरडब्ल्यूए के साथ सरकार के विभाग मीटिंग करे ताकि लोगों की समस्याओं को हल किया जा सके। पहले भागीदारी के तहत हर महीने सभी विभागों के साथ मीटिंग होती थी और अगली मीटिंग तक एरिया की 60 से 70 फीसदी तक समस्याएं हल हो जाती थीं। भसीन के मुताबिक आरडब्ल्यूए की समस्याओं को उठाने के लिए अगली मीटिंग सदर विधानसभा में की जाएगी। इसमें भी शीला दीक्षित शिरकत करेंगी।

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