अयोध्या में सीएम योगी ने रामलला के किए दर्शन, विपक्ष पर भी कसा तंज

अयोध्या
अयोध्या में ‘त्रेता युग’ की भव्य दिवाली मनाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार की सुबह रामनगरी अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में दर्शन और पूजन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी राम जन्मभूमि विवादित परिसर में रामलला का दर्शन करने के लिए पहुंचे। अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने अयोध्या के वरिष्ठ संतों से मुलाकात की।

पूजन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में अयोध्या में दिव्य दीपावली मनाए जाने को लेकर कहा कि अयोध्या में किसी नई परंपरा की शुरुआत नहीं हुई है। यह आयोजन मैंने नहीं किया है बल्कि यह सदियों से चली आ रही परंपरा है। यह आयोजन अयोध्या के लोगों ने और अयोध्या के संतों ने मिलकर किया है।

अयोध्या का समग्र विकास जरूरी
यह एक अद्भुत क्षण है कि हजारों वर्षों को स्मृतियों को ताजा किया गया है। अयोध्या के महत्व को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर ले जाने के लिए यह आयोजन किया गया है। विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अयोध्या की एक स्वस्थ छवि प्रस्तुत हो यहां पर पर्यटक आ सके। यहां पर नौजवानों को रोजगार के अवसर प्रदान हो। अयोध्या का समग्र विकास हो इसलिए यह पूरा आयोजन किया गया है। यह आयोजन अपनी परंपरा और अपनी संस्कृति को सहेजने का एक प्रयास है। इसमें निरंतरता आनी चाहिए जिससे अयोध्या का विकास हो।

हनुमान गढ़ी मंदिर में पुजारी ने योगी को भगवा पटका उढ़ाया। इसके बाद सीएम योगी अयोध्या के सुग्रीव मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। योगी ने कहा कि वह भगवान से प्रदेश की सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना के लिए आए हैं। उनकी यह व्यक्तिगत आस्था है। उसमें विपक्ष कैसे हस्तक्षेप कर सकता है। बुधवार को अयोध्या में दीपोत्सव का विशाल आयोजन किया गया था। यहां 1 लाख 71 हजार दीप जलाकर वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया गया। इस दीपोत्सव में योगी आदित्यनाथ के अलावा यूपी कैबिनेट के कई मंत्री भी शामिल हुए।

विपक्ष पर जुबानी हमला
विपक्ष द्वारा अयोध्या में आयोजित हुए कार्यक्रम को लेकर दिए जा रहे बयानों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद कड़े लफ्जों में करारा जवाब विपक्ष को दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मेरी व्यक्तिगत आस्था है। मेरी व्यक्तिगत आस्था पर विपक्ष कैसे हस्तक्षेप कर सकता है। दूसरी बात यह है कि मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश के हर स्थान का विकास करना मेरी जिम्मेदारी है।

राम जन्मभूमि में दर्शन करने आने वाले हर श्रद्धालु की सुरक्षा उसके लिए जरूरी व्यवस्था साफ-सफाई से लेकर हर जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। जहां रामलला विराजमान है उसके आसपास के क्षेत्र की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिम्मेदार अधिकारी निभा रहे हैं। इसके अतिरिक्त पूरी अयोध्या में साफ-सफाई और विकास की जिम्मेदारी हमारी बनती है जिसे हम निभाएंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिवाली के दिन रामनगरी अयोध्या में दर्शन और पूजन के दौरान बेहद प्रश्न और उत्साहित दिखे और तमाम साधु-संतों के साथ अयोध्या के आम लोगों से भी मुस्कुरा कर उन्होंने मुलाकात की। दर्शन-पूजन के बाद मुख्यमंत्री गोरखपुर रवाना हो गए, वह वहां वनटंगिया परिवारों के बीच दीपावली मनाएंगे।

अयोध्या में हर घर जगमग
इससे पहले बुधवार को छोटी दीपावली के दिन अयोध्या में हर घर जमगम था। कलश सजे थे। नगर शोभा यात्रा में भगवान राम के जीवन चरित्रों की झांकी दिखी तो अयोध्या ने फिर अहसास करवा दिया कि श्रीराम वनवास के बाद लौट रहे हैं। जगह-जगह लोगों ने श्रीराम का रथ रोककर आरती की। पुलिसवाले ‘चतुरंगी सेना’ की भूमिका में रथ की अगवानी कर रहे थे। हेलिकॉप्टर रूपी पुष्पक विमान से श्रीराम के आने का मनोहारी दृश्य हो या नगर भ्रमण। कुछ भी ऐसा नहीं था, जिसका आख्यान श्रीरामचरितमानस में हो और उसे यहां दिखाने का प्रयास न किया गया हो। लगा अयोध्या में एक बार फिर त्रेता युग लौट आया हो।

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पुष्पक विमान से आए राम
योगी आदित्यनाथ के अयोध्या पहुंचने के कुछ ही देर बाद राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का रूप धरे कलाकार ‘पुष्पक विमान’ से यहां पहुंचे। पुष्पक विमान बना सरकारी हेलिकॉप्टर। हेलिकॉप्टर ने उतरने से पहले आसमान में अयोध्या के दो चक्कर काटे और पुष्पवर्षा की। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने खुद भगवान राम की अगवानी की और उन्हें लेकर राम कथा पार्क तक आए। यहां उनकी आरती उतारी गई और राजगद्दी पर बैठाया गया। नजारा ऐसा था कि मानो श्रीराम का राजतिलक हो रहा हो। इस दृश्य को देखकर हर ओर श्रीराम के जयकारे लगने लगे।

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दीयों से जगमगाया सरयू तट
इसके बाद बारी थी अयोध्या के रोशनी में नहा उठने की। इसका भी पूरा इंतजाम किया गया था। राम की पैड़ी के घाटों को करीब दो लाख दीयों से सजाया गया। इन दीपों को रोशन करने की जिम्मेवारी एनसीसी के कैडेट, स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता, साकेत महाविद्यालय और अवध विद्यालय को सौंपी गई थी।

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