अब मेक इन इंडिया 2.0 लॉन्च करेगी मोदी सरकार

रुचिका चित्रवंशी, नई दिल्ली
मोदी सरकार मेक इन इंडिया प्रोग्राम का दूसरा चरण अगले महीने शुरू करेगी। इस बार इसका जोर रोबॉटिक्स, जीनोमिक्स, केमिकल फीडस्टॉक और इलेक्ट्रिकल स्टोरेज जैसे सेगमेंट्स पर होगा। एक वरिष्ठ
सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि इंडस्ट्री डिपार्टमेंट मेक इन इंडिया 2.0 में कवर किए जाने वाले हर सेक्टर के लिए पांच साल का रोडमैप बना रहा है।

अधिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि मेक इन इंडिया के तहत भविष्य की बातों पर ज्यादा जोर दिया जाए और कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर आने वाले अवसरों के लिए हम तैयार हो सकें।’ अधिकारी ने बताया कि सरकार मौजूदा व्यवस्था का उपयोग करते हुए सूचनाएं जुटाएगी और नए चरण के लिए रणनीति बनाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए नई समितियां नहीं बनाई जाएंगी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में मेक इन इंडिया प्रोग्राम शुरू किया था। अब तक इसका फोकस ऑटोमोबाइल, टेक्स्टाइल्स, कंस्ट्रक्शन और एविएशन सहित 25 सेक्टरों पर रहा है। इसका मकसद इन क्षेत्रों में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और रोजगार के मौके बनाना है। दूसरे चरण के शुरू होने से पहले हाल यह है कि मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री हांफ रही है। ऐसा ग्लोबल इकॉनमी में सुस्ती के कारण भी हुआ है, जिससे एक्सपोर्ट डिमांड घटी है।

केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के अनुसार फिस्कल ईयर 2017-18 में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 4.6 पर्सेंट रहने की उम्मीद है। इससे पहले साल आंकड़ा 7.9 पर्सेंट का था। हाल में संपन्न हुए शीत सत्र के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने संसद को बताया था, ‘मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन डमेस्टिक डिमांड, एक्सपोर्ट्स डिमांड, इन्वेस्टमेंट और कीमतों जैसे कई पहलुओं पर निर्भर करता है।’

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग अब चाहता है कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम का फोकस ऐसे कुछ क्षेत्रों पर बढ़े, जिनमें भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में लंबी अवधि में आगे ले जाने की क्षमता हो। सरकार देखेगी कि हर सेक्टर के लिए केंद्र और स्थानीय स्तर पर कैसी नीतियों की जरूरत होगी। इसमें देखा जाएगा कि फिस्कल कंसेशन और सिंगल विंडो अप्रूवल मेकनिजम सहित कौन से उपाय किए जा सकते हैं।

इस क्रम में कच्चे माल, जमीन, कुशल मानव संसाधन और मार्केट लिंकेज की उपलब्धता का आकलन भी किया जाएगा। बड़े एंकर इन्वेस्टर्स को इसमें साथ लेने के अलावा रेल, रोड, एयरपोर्ट और बंदरगाहों के जरिए फिजिकल कनेक्टिविटी मुहैया कराने पर भी विजन डॉक्युमेंट में जोर होगा। अभी सरकार और प्राइवेट सेक्टर की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा भी की जाएगी ताकि चुने गए सेक्टरों की रफ्तार बढ़ाने का इंतजाम हो सके।

दूसरे चरण में विभाग परियोजनाओं पर नजर रखने वाले दल बनाएगा। इनमें तीन से चार सदस्य होंगे। ये दल प्रोग्राम की प्रगति की समीक्षा करेंगे और 10-12 महीनों में अपनी रिपोर्ट देंगे। विभाग हर सेक्टर को राज्यों या इलाकों और इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स से जोड़ने की रूपरेखा भी पेश करेगा।

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