अदालत और जन सामान्य के फैसले

निर्भया प्रकरण का दोषी, जो अपनी कम उम्र के कारण मात्र तीन वर्ष के लिए जेल भेजा गया था और उसकी रिहाई की डेडलाइन के बाद लोकसभा और राज्यसभा में इस बाबत एक कड़ा कानून पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद उसका गजट में नोटिफिकेशन होगा तथा इस प्रक्रिया में दस दिन लग सकते हैं। अत: उस अपराधी को लाभ मिल गया है। अमेरिका में बेसबॉल के शिखर सितारा खिलाड़ी पर उसकी पत्नी की हत्या का आरोप लगा परंतु केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के कारण उसे अदालत ने बरी किया, जबकि जज पूरी तरह से आश्वस्त था कि कत्ल उसी ने किया है परंतु फैसला तो कानून के दायरे में ही किया जाता है और उसमें जनता के लोकप्रिय विचार पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता परंतु भारत में एक आतंकवादी के फैसले में जाने कैसे यह संकेत आ गया कि जनभावना के मद्‌देनजर फैसला किया गया है।    जब सड़क के जुनूनी हुल्लड़बाजी के तत्व संसद में घुस आते हैं तो संसद ही सड़क बन जाती है और सड़क संसद की तरह हो जाती है। बहरहाल, अमेरिकी सितारा खिलाड़ी अदालत में बाइज्जत बरी होकर अपने भव्य महलनुमा बंगले में पहुंचा तो बंगले के चौकीदार ने उसे घर की…

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