अतिक्रमण हटाने को कहा था, वेंडरों को नहीं : हाईकोर्ट
|हाई कोर्ट ने इलाहाबाद के सिविल लाइन्स एरिया में सड़क किनारे से स्ट्रीट वेंडरों को हटाने पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट स्ट्रीट वेंडरों को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम और एडीए से विस्तृत नीति व ब्यौरे के साथ जवाबी हलफनामा देने को कहा है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि, कोर्ट ने निर्देश सड़क से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने का दिया है। जब वेंडरों को हटाने का आदेश नहीं दिया है तो वेंडरों को क्यों हटाया जा रहा है। याचिका पर अगली सुनवाई 14 जून को होनी है। जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस डी सिंह की खंडपीठ ने रेखा सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याची का कहना है कि, सरकार ने स्ट्रीट वेंडरों के लिए नियमावली बना ली है लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा है।
नगर निगम के अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने बताया कि, पूरे इलाहाबाद में बारह हजार दो सौ वेंडर हैं। नियमावली के तहत चालीस सदस्यीय कमिटी गठित करने और आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है। चालीस सदस्यीय कमिटी में चालीस फीसदी सदस्य वेंडर होंगे। कमिटी ही स्थान निर्धारित करेगी। कमिटी का गठन 15 जुलाई तक हो जायेगा। सेप्टेम्बर तक स्थान निर्धारण के बाद स्ट्रीट वेंडरों को नवंबर तक आवंटन कर दिया जायेगा।
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता वाई के श्रीवास्तव ने कहा कि, यह नैशनल पॉलिसी है। स्ट्रीट वेंडर अस्थायी दुकान लगा सकते हैं। इन्हें स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है। याची का कहना था कि, जब तक स्ट्रीट वेंडरों को लाइसेंस नहीं दे दिए जाते तब तक उन्हें हटाया न जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से पूरा ब्यौरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
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