अकाली दल के विकल्प की तलाश में RSS!

नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा राष्ट्रीय सिख संगत दिल्ली में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व मना रही है। इस कार्यक्रम से ऐन पहले श्री अकाल तख्त साहिब जी के हुक्मनामे ने अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी है। वहीं अकालियों के विरोध को देखते हुए आरएसएस ने शिरोमणि अकाली दल (सरना) से भी संपर्क साधा है। इस बात की पुष्टि पटना साहिब कमिटी के प्रेजिडेंट और सरना दल के जनरल सेक्रेटरी हरविंदर सिंह सरना ने सोशल मीडिया पर विडियो जारी कर की है।

सरना का कहना है कि 4 दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव आरपी सिंह के साथ उनकी मुलाकात हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय सिख संगत के प्रेजिडेंट गुरचरन सिंह गिल भी मौजूद थे। सरना का दावा है कि उन्होंने प्रोग्राम में ज्ञानी इकबाल सिंह को भेजने के साथ-साथ सपॉर्ट देने की बात कही है। सरना ने कहा है कि वह इस प्रोग्राम में जाने के लिए किसी से न कहेंगे न किसी को रोकेंगे। इस बयान के बाद से ‘सर्व धर्म सम्मेलन’ को लेकर तलवारें खिंच गई हैं। दिल्ली से अकाली-बीजेपी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा से जब पूछा गया कि क्या उनसे भी आरएसएस ने संपर्क किया था। इस पर उन्होंने कहा कि किसी ने कोई संपर्क नहीं किया। वह इस प्रोग्राम में नहीं जा रहे हैं, क्योंकि उनके लिए अकाल तख्त साहिब का फैसला सबसे ऊपर है।

एक तरफ अकाल तख्त का हुक्मनामा और दूसरी तरफ बीजेपी-आरएसएस। सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त, राष्ट्रीय सिख संगत को सिख विरोधी करार दे चुका है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में जो भी सिख राष्ट्रीय सिख संगत के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेता है तो उसको तख्त पर तलब कर सजा दे सकते हैं। हालांकि अभी भी निगाहें तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह और अकाली नेता और बीजेपी के वाइस प्रेजिडेंट कुलवंत सिंह बाठ पर टिकी हुई हैं। बाठ ने सोमवार को ही साफ कर दिया था कि वह अकाल तख्त के फैसले का पूरा सम्मान करेंगे। ऐसे में गेंद बीजेपी के पाले में है कि उनके वाइस प्रेजिडेंट ही इस प्रोग्राम से दूरी बना रहे हैं। बीजेपी इस पर क्या स्टैंड लेती है इसपर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।

पंजाब में अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक गठबंधन होने के बावजूद भी कट्टरपंथियों और आरएसएस के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। अकाली पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह इस प्रोग्राम के खिलाफ हैं और उनका कोई भी मेंबर इसमें नहीं जाएगा। ऐसे में इस प्रोग्राम के बाद गठबंधन पर भी सवाल उठ सकते हैं।

‘संघ का गलत रूप में किया जा रहा प्रचार’

राष्ट्रीय सिख संगत ने बयान जारी कर कहा है कि इस कार्यक्रम को लेकर सिख धर्म के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दृष्टिकोण को गलत रूप में रखकर प्रचार किया जा रहा है। संघ की मान्यता है कि सिख धर्म भी जैन और बौद्ध धर्म की तरह ही एक सामाजिक-धार्मिक मान्यता प्राप्त स्वतंत्र धर्म है। सिखों की एक अलग पहचान है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्पष्टता के साथ सिख धर्म की अलग पहचान को मानता आया है। संघ के संघचालक (नॉर्थ) डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने समाज से अपील की है कि सभी भारतवासियों को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का पर्व मिलजुलकर मनाना चाहिए और उनके जीवन दर्शन को दूर-दराज तक नई पीढ़ी तक पहुंचाना चाहिए।

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