अकबर के नवरत्नों की मूर्तियों पर विवाद

आगरा
आगरा मंडल के आयुक्त प्रदीप भटनागर ने वैश्विक धरोहर स्थल फतेहपुर सीकरी में मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों की मूर्तियां लगवाने का फैसला लिया है, जिस पर विवाद उत्पन्न हो गया है।

ज्ञान और विद्या अर्जित करने का जुनून रखने वाले अकबर ने अपने दरबार में विभिन्न कलाओं में निपुण नौ व्यक्तियों को नवरत्न का दर्जा दिया था। भटनागर ने इन नवरत्नों की मूर्तियां लगवाने में आगरा विकास प्राधिकरण के धन का उपयोग करने का आदेश दिया है। लेकिन अब इतिहास के जानकारों ने उन्हें यह सबूत पेश करने को कहा है कि जिनकी वह मूर्तियां लगवाने जा रहे हैं, उनकी नियुक्ति बादशाह अकबर ने अपने दरबार में की थी। इसकी पुष्टि में ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है।

मुगलकालीन इतिहास के विशेषज्ञ आर. नाथ ने कहा, ”जहां तक मुझे जानकारी है, किसी भी समकालीन इतिहासकार के शोधकार्य में अकबर के नवरत्नों की प्रामाणिक सूची का जिक्र नहीं है। प्रचलित किंबदंतियों की बात अलग है।” नाथ ने कहा, ”भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण को 1958 के प्रचीन स्मारक अधिनियम का सख्ती से पालन करना चाहिए। यह अधिनियम किसी को भी ऐतिहासिक धरोहर में कुछ जोड़ने या घटाने की इजाजत नहीं देता।”

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, अकबर के दरबार में अबुल फजल, अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, बीरबल, मुल्ला दो-पियाजा, फैजी, राजा मान सिंह, राजा टोडर मल, फकीर अजियो दीन और तानसेन नवरत्न के रूप में शामिल थे। इतिहासकार राजकिशोर राजे ने आईएएनएस से कहा, ”आयुक्त भटनागर इतिहास से छेड़छाड़ कर रहे हैं। मैंने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सलाह दी है कि वह आगरा के आयुक्तकों ऐसा करने से रोकें।” उन्होंने कहा कि ‘आईन-ए-अकबरी’ हो या ‘तकमील-ए-अकबरनामा’, किसी में भी अकबर के नवरत्नों के बारे में कुछ नहीं लिखा है।

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