सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे निजता के अधिकार में हस्तक्षेप हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अदालत को साक्ष्यों से निष्कर्ष निकालना असंभव लगे