सुलतानपुर ‘पांच लाख रंगदारी दो वरना मरने को तैयार रहो। चार-पांच महीने पहले भी तुम्हें समझाया गया था लेकिन तुम नहीं माने। अब मरने की बारी तुम्हारी है।’