Delhi Metro: 20 साल बेमिसाल, ट्रैक पर दौड़ती जा रही मेट्रो

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) ने एक ऐसे शहर में अपनी अलग पहचान बनाई है जिसका हजारों साल का इतिहास रहा है। आज यह शहर का एक प्रति​​ष्ठित, गौरवशाली और जाना पहचाना नाम है और राष्ट्रीय राजधानी के आ​र्थिक विकास को प्रति​​बिंबित करती है। दिल्ली मेट्रो ने रोज लगभग 50 लाख यात्रियों (अक्टूबर 2022 के डेटा के अनुसार) के सफर को आसान बनाते हुए अपनी 20 वर्ष की यात्रा को आज पूरा कर लिया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और लंबे समय दिल्ली की सत्ता में रहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली मेट्रो का उदघाटन किया था। यह निर्धारित समय से पहले यानी दो साल नौ महीने पहले ही बनकर तैयार हो गई। एक ऐसे देश में यह संभव हुआ जो परियोजनाएं पूरी होने में विलंब के लिए जाना जाता है। कोलकाता में मेट्रो को तैयार करने के लिए 30 साल का समय लगा था और जबकि दिल्ली मेट्रो सात वर्ष में ही बनकर ट्रैक पर
दौड़ने लगी।

मेट्रो रेल की पूरी प्रक्रिया

दिल्ली मेट्रो का परिचालन करने वाली दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से संबद्ध हस्ती जिनकी प्रक्रियाएं और योजना अभी भी निर्णय लेने में काम आती हैं वह है ई श्रीधरन। उनको विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय के लिए सफलता का श्रेय दिया जाता है। भारत के मेट्रो मैन कहे जाने वाले डीएमआरसी के पहले प्रबंध निदेशक श्रीधरन ने कहा, ‘यह भारत और दिल्ली सरकार की समान भागीदारी वाला एक संयुक्त उद्यम था। मुझे सभी मंत्रालयों, जनता, हर किसी से सहयोग मिल रहा था।’

श्रीधरन ने कहा कि डीएमआरसी ने मेट्रो को सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के सिस्टम की तर्ज पर तैयार किया था। लेकिन डीएमआरसी ने इसे 50 फीसदी कम लागत पर पूरा किया। ऐसा मुख्य रूप से कम लागत वाले श्रम और जापानी सहायता के माध्यम से सस्ते ऋण (0.2 फीसदी ब्याज दर) की उपलब्धता के कारण हो सका। एक और महत्त्वपूर्ण कदम यह भी था कि डीएमआरसी को अनुमानित लागत को मंजूरी देने और यहां तक कि अनुबंध देने का पूरा अधिकार दिया गया था।

सरकारी खजाना बनाम पीपीपी मेट्रो रेल नेटवर्क के निर्माण में डीएमआरसी की एक प्रमुख विशेषता इसकी पूर्ण आत्मनिर्भरता है। इसने निजी भागीदारी को माल और सेवा अनुबंधों तक ही सीमित रखा है। दिल्ली मेट्रो में मुख्य रूप से इसके कार्यान्वयन, अनुबंधों के लिए और इसे समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए ही निजी क्षेत्रों के भागीदारों को शामिल किया जाता है। क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी में परिवहन और लॉजिस्टिक के निदेशक और प्रैक्टिस के नेतृत्वकर्ता जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा कि निजी क्षेत्रों द्वारा गैर-किराया राजस्व मौजूदा स्तर से आगे बढ़ाया गया।

मेट्रो रेल ने एक बार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के बारे में विचार किया था, लेकिन डीएमआरसी ने यह अध्ययन किया कि कहां गड़बड़ी हो सकती है और फिर पीपीपी को शामिल न करने का फैसला लिया। अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के साथ एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का अनुबंध समाप्त होने के कारण डीएमआरसी के वित्त पर फिलहाल 7,100 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। डीएमआरसी और डीएएमईपीएल के बीच 10 वर्ष से अधिक समय से कानूनी लड़ाई चल रही हैं। डीएमआरसी 2013 से इस लाइन का भी संचालन कर रही है।

यह डीएमआरसी के लिए बेहद खराब अनुभव था, इसके बाद इसने कोई भी पीपीपी परियोजना को शामिल नहीं किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी मेट्रो संचालक किसी भी तरह के पीपीपी अनुबंध में हिस्सेदारी लेने के विचार में नहीं है। हालांकि इसने डीएमआरसी के साथ लंबे समय से चल रहे निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी को खत्म नहीं किया है। निजी क्षेत्र की कंपनियां कोच की आपूर्ति से लेकर तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं।

एल्सटॉम इंडिया के प्रबंध निदेशक ओलिवियर लॉइसन ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में नेटवर्क का विस्तार जारी होने के कारण शहरी परिवहन के भविष्य के लिए मोबिलिटी सॉल्यूशन्स विकसित करने और वितरित करने के लिए और भी अधिक अवसर दिखाई दे रहे हैं। इससे भविष्य में इस क्षेत्र को निम्न-कार्बन में बदलने में भी मदद मिलेगी। एल्सटॉम शुरुआत से ही दिल्ली मेट्रो से जुड़ी है, और यह एडवांस्ड सिग्नलिंग और ट्रेन नियंत्रण समाधान के साथ 800 से अधिक कोच डिलिवर कर चुकी है। हाल ही में, कंपनी ने अपने नेटवर्क विस्तार के लिए 312 कोचों की आपूर्ति करने के लिए डीएमआरसी से एक और ऑर्डर प्राप्त किया, जिससे यह रिश्ता और मजबूत हुआ।

घाटे में चल रही मेट्रो

डीएमआरसी लगातार घाटे में चलने वाला उद्यम बना हुआ है। इसे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 2,341 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। दुनियाभर की मेट्रो भी आजतक अपना घाटा समाप्त नहीं कर पाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीएमआरसी से कुछ भी अन्यथा की उम्मीद करना अनुचित है क्योंकि यह एक सामाजिक सरोकार है। जबकि यह सरकारी खजाने और जेआईसीए से उदार ऋणों पर निर्भर था। इसके लंबे समय से सहयोगी, डीएमआरसी ने किराए के माध्यम से अधिक राजस्व जुटाने की बात की थी।

बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया के पूर्व मुख्य प्रतिनिधि हर्ष ढींगरा ने कहा कि किराया निर्धारण समिति (एफएफसी) द्वारा किराए के आकार को कैसे संशोधित किया जाना चाहिए, इस पर बहुत स्पष्ट दिशानिर्देश हैं, राजनीतिक मजबूरियों के कारण उनका पालन नहीं किया जाता है।

ढींगरा ने कहा कि दिल्ली मेट्रो के लिए मूल्य निर्धारण में प्रतिस्पर्धी होना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उनका वर्तमान राजस्व ही परिचालन में लाभ दिलाता है। मेट्रो नेटवर्क के विस्तार के लिए किए गए बड़े पूंजीगत व्यय को भी चुकाने की जरूरत है, जिसके लिए उन्हें किराये से काफी अधिक राजस्व की आवश्यकता है। लेकिन किराये में बढ़ोतरी करना एक दोधारी तलवार है – कोई भी उच्च टैरिफ और मेट्रो आबादी के एक वर्ग के लिए पहुंच से बाहर हो जाती है और किराया वृद्धि नहीं करने से कंपनी के वित्त को प्रभावित नहीं किया जा सकता है।

डीएमआरसी के लिए समयबद्ध होना, 2002 के बाद से कोई दुर्घटना नहीं होने का बेदाग रिकॉर्ड होना और जमीन के ऊपर और नीचे दोनों जगह शहर के परिदृश्य को बदलना नि​श्चित तौर पर गर्व की बात है।

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