BJP की हार मेरे पिता को श्रद्धांजलि: इखलाक का बेटा

पुरुषार्थ अराधक बिसाहड़ा (दादरी)
पटना में वक्त से पहले दिवाली मनी। पटना से एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर स्थित एक छोटे से गांव की शायद अनजाने में बिहार असेंबली इलेक्शन में अहम भूमिका रही। बिहार में चुनाव परिणाम आने के बाद चुपचाप इसकी स्वीकृति भी मिली। रविवार को ग्रेटर नोयडा के बिसाहड़ा गांव में लोगों को बिहार के चुनावी नतीजे मिलने शुरू हो गए थे। रविवार को दिन भर लोग टीवी के सामने बैठ वोटों की गिनती देखते रहे थे। यहां से एक स्वर में आवाज आ रही थी कि यह फैसला नफरत की राजनीति के खिलाफ है।

यह मोहम्मद इखलाक का गांव है। इखलाक को सितबंर महीने में हिंसक भीड़ ने गोहत्या कर मांस खाने और रखने के संदेह में पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस अटैक के बाद गांव में अजीब सा माहौल था। रविवार को लोग इस गांव में सुकून था। यहां के लोग महसूस कर रहे थे कि यदि बीजेपी हारती है तो गांव सामूहिक दोष से मुक्त होगा। नफरत की राजनीति पर गांव वालों ने कहा कि यह बिहार में नहीं चली और अब उत्तर प्रदेश में भी नहीं चलेगी।

इखलाक के बड़े बेटे सरताज इंडियन एयर फोर्स में कॉर्पोरल हैं। सरताज ने कहा कि बिहार का जनादेश मेरे पिता के लिए श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा, ‘बिहार के लोग सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकजुट हो गए थे। इस देश में नफरत की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। बिहार का चुनावी परिणाम मेरे पिता को श्रद्धांजलि है और यह सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली राजनीति के खिलाफ है। लोगों को महसूस करना चाहिए कि धर्म के नाम पर लड़ने से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। मैं सभी नेताओं से अपील करता हूं कि सत्ता के लिए देश को न बांटें।

समान्य दिनों में बिसाहड़ा में बिजली सप्लाई 11 बजे से तीन बजे तक रहती है। इसके बाद रात में 11 बजे से सुबह पांच बजे तक। लेकिन रविवार सुबह अप्रत्याशित रूप से बिजली की कटौती हुई। ज्यादातर लोग एक घर में जुटे थे जहां जेनरेटर के जरिए टीवी चलाया जा रहा था।

गांव के पूर्व प्रधान 75 साल के भूप सिंह ने कहा, ‘मेरा जन्म इसी गांव में हुआ और मरूंगा भी यहीं। इतने सालों के जीवन में आज तक मुझे गांव में इस तरह का सांप्रदायिक तनाव देखने को नहीं मिला। इखलाक की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के बाद मेरे गांव में तनाव पैदा हुआ। इससे मैं बेहद आहत हूं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि नेताओं की वजह से सांप्रदायिक सद्भावना को चोट पहुंच रही है। सिंह ने कहा, ‘यदि नेता हमारे गांव में नहीं आते तो हम इस स्थिति से निपट लेते लेकिन इन्हें वोट बैंक की जरूरत पड़ती है। बिहार का चुनावी नतीजा उन लोगों के मुंह पर तमाचा है।’

पड़ोसी ओम महेश ने भूप सिंह की बातों से सहमति जतायी। ओम ने कहा, ‘इखलाक की हत्या बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां तक कि इखलाक की मौत के बाद भी इस गांव में सांप्रदायिक तनाव नहीं था। लेकिन बाद में कुछ नेताओं ने इस मामले के जरिए सांप्रदायिकता को भड़काने की कोशिश की। हमलोगों को इन नेताओं से अपील करनी पड़ी कि वे गांव से दूर रहें।

एक और स्थानीय गुलफान ने कहा, ‘बिहार के लोगों ने उन लोगों को हार का स्वाद चखाया जो लोगों को बांटकर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। हमारे नेता सत्ता देश को बांटने से भी नहीं हिचक रहे हैं। इन्होंने देश की साख को दांव पर लगा दिया है। इस तरह की घटनाओं से देश की छवि खराब होती है।’

इस मामले में बीजेपी विधायक संगीत सोम को लोगों ने साक्षात नफरत भरी भाषा बोलते हुए देखा था। संगीत सोम मुजफ्फरनगर दंगे के मुख्य आरोपी हैं। इखलाक की हत्या के बाद सोम ने बिसाहड़ा गांव का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कुछ विवादित बयान दिए थे। गुलफान ने कहा कि यदि बीजेपी बिहार में नहीं हारती और संगीत सोम की तरफ से कोई विवादित बयान नहीं आता तो बीजेपी जीत जाती। इस पर संगीत सोम ने कहा, ‘बिहार और उत्तर प्रदेश में मुद्दे अलग-अलग हैं। मुझे ऐसा नहीं लगता कि बिसाहड़ा गांव जाने और बयान देने से बीजेपी को बिहार में हार का सामना करना पड़ा।

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