AI विनिवेश: कनॉट प्लेस के पास 6 एकड़ का प्लॉट बेच सकती है सरकार

मिहिर मिश्रा, नई दिल्ली
एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया तेज करने के लिए सरकार ने कंपनी के कुछ रियल एस्टेट को सीधे बेचने का फैसला किया है। कंपनी की कुछ प्रॉपर्टी उसे सरकार से 99 साल की लीज पर मिली थी, उन पर एयर इंडिया का मालिकाना हक नहीं है। एविएशन मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘जो प्रॉपर्टी सरकार ने कंपनी को लीज पर दी थी, उसका मालिकाना हक केंद्र के पास आ जाएगा और वह एयर इंडिया की तरफ से उन्हें बेचेगा।’ एयर इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में ऐसी दो प्रॉपर्टीज की पहचान की जा चुकी है, जिन पर शहरी विकास मंत्रालय का मालिकाना हक है।

अधिकारी ने बताया, ‘इनमें से एक कनॉट प्लेस के पास बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर 4 एकड़ जमीन है। दूसरी, वसंत विहार में रेजिडेंशल कॉलोनी है। ये प्रॉपर्टीज 99 साल की लीज पर एयर इंडिया को दी गई हैं। इन प्रॉपर्टीज को बेचने से जो पैसा मिलेगा, उसका इस्तेमाल कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए किया जाएगा।’ वसंत विहार रेजिडेंशल कॉलोनी को एनबीसीसी लिमिटेड को देने की योजना है, जो इसे रीडिवेलप करेगी। वहीं, कनॉट प्लास के पास की जमीन के बारे में अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई है।

मनमोहन सिंह सरकार ने 2012 में एयर इंडिया के टर्नअराउंड प्लान को मंजूरी दी थी। उसमें दुनियाभर में कंपनी की प्रॉपर्टी बेचने की बात थी। माना गया था कि इन प्रॉपर्टी को बेचने से कंपनी को 5,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिनका इस्तेमाल कर्ज चुकाने में किया जाना था। हालांकि, एयर इंडिया मालिकाना हक सहित कई मसलों की वजह से इन प्रॉपर्टी से 1,000 करोड़ रुपये ही हासिल कर पाई थी। कंपनी पर 52,000 करोड़ का कर्ज है, जिसमें से 33,000 करोड़ रुपये वर्किंग कैपिटल लोन के रूप में हैं। कंपनी को हर साल 4,500 करोड़ रुपये का ब्याज देना पड़ता है, जो उनके सालाना टर्नओवर का 21 पर्सेंट है।

एयर इंडिया की डेट (कर्ज) रीस्ट्रक्चरिंग के लिए जिन उपायों पर विचार चल रहा है, उनमें सरकार अलग से इसकी सब्सिडियरी को बेचने की भी सोच रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में बनी समिति इन उपायों पर विचार कर रही है, जिसे विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए बनाया गया है। कई कंपनियों ने एयर इंडिया के साथ इसकी सब्सिडियरी में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। इंडिगो जहां इसका अंतरराष्ट्रीय बिजनस खरीदना चाहती है, वहीं कुछ प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स के एयर इंडिया स्टेक सेल में शामिल होने की खबरें भी आई हैं। टाटा ग्रुप को भी एयर इंडिया का संभावित दावेदार बताया गया है।

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