AAP: आखिर किसके इशारे पर नहीं बन पाई बात?

नई दिल्ली

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ पिछले 10-12 दिनों से चली आ रही बातचीत और समझौते की प्रक्रिया के बुधवार शाम अचानक टूट जाने के बाद अब केजरीवाल खेमे के नेता इन दोनों नेताओं से यह खुलासा करने की मांग कर रहे हैं कि आखिर किसके इशारे पर और किसके कहने पर यह बातचीत टूटी। आप नेताओं का मानना है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि वो कौन सी ताकतें हैं, जिन्होंने इस पूरी बातचीत को विफल कर दिया।

योगेंद्र ने खुद दिए थे 10 नाम

केजरीवाल खेमे के नेता संजय सिंह ने 10 नामों का खुलासा करते हुए कहा कि समझौते की प्रक्रिया के तहत इन लोगों के नाम योगेंद्र ने खुद लिखकर दिए थे; इसी के साथ मांग की थी कि इनमें से 7 लोगों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रखा जाए।
इसके अलावा बिना किसी साइन वाला एक पत्र भी सार्वजनिक करके आप नेताओं ने यह दावा किया कि बुधवार की दोपहर 2 बजे यह पत्र लिखा गया था और इस पर दोनों पक्षों के लोग साइन करके सार्वजनिक रूप से पिछले दिनों की घटनाओं के लिए माफी मांगने वाले थे।

संजय सिंह ने बताया कि इस परिवार को बचाने के लिए हमने अपनी तरफ से भरपूर कोशिशें कीं। हमने ज्यादातर मांगें मान ली थी, लेकिन इसके बावजूद बुधवार शाम सवा 6 बजे योगेंद्र यादव ने फोन करके अचानक बातचीत की प्रक्रिया तोड़ दी।

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4 घंटे में ऐसा क्या हुआ ?

समझौते की प्रक्रिया में शामिल रहे पार्टी नेता आशीष खेतान ने बताया कि हमने भी अपनी तरफ से कुछ बातें रखी थीं। हमने कहा था कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति पार्टी में किसी पद पर रहेगा और यह नियम पीएसी, एनई और एनसी के सदस्यों के साथ साथ स्पेशल इनवाइटी पर भी लागू होगी।

हमने यह भी कहा था कि सत्ता या फैसला लेने का अधिकार किसी एक व्यक्ति के हाथ में सीमित नहीं रहना चाहिए, इसलिए जो स्टेट कन्वीनर बनता है, उसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य पद छोड़ना चाहिए। खेतान ने यह भी दावा किया कि दोनों नेता यह कह रहे थे कि उनके द्वारा उठाए गए 5 मुद्दे इस बातचीत में अड़चन का विषय नहीं है।

उन्होंने सवाल किया कि अब योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को यह बताना चाहिए कि आखिर बुधवार को दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे के बीच ऐसा क्या हुआ, जो उन्होंने बातचीत तोड़ दी।

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फिर माफीनामा क्यों लिखा ?

आप नेता आशुतोष ने कहा कि योगेंद्र ने खुद फेसबुक पर कॉमेंट कर अरविंद केजरीवाल की राजेश गर्ग के साथ बातचीत वाले स्टिंग की सत्यता पर सवाल उठाए थे, फिर उसकी जांच लोकपाल से कराने का क्या मतलब बनता है? उन्होंने कहा कि अगर हम उनकी पांचों मांगें नहीं मानते, तो फिर उनकी रजामंदी से यह माफीनामा कैसे लिखा गया?

पार्टी नेताओं ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछली बैठक में फंडिंग व अन्य मुद्दों की लोकपाल से जांच कराने पर सहमित बन गई थी और दो-तीन दिन में पार्टी के सचिव इसकी औपचारिक चिट्ठी एडमिरल रामदास को लिखने ही वाले थे। उम्मीद है कि शनिवार को अन्य प्रमुख मुद्दों के साथ ही दोनों असंतुष्ट नेताओं के पार्टी में बने रहने के बारे में निर्णय हो सकता है।

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