मुख्य सचिव मारपीट: HC ने कहा, MLA को क्यों मिले बेल जब CS को किया जा रहा परेशान
|चीफ सेक्रेटरी (सीएस) अंशु प्रकाश के साथ सीएम आवास पर कथित रूप से मारपीट के आरोप में जेल में बंद आप विधायकों के बर्ताव पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने हैरानी जताई। कोर्ट ने जेल में बंद विधायक प्रकाश जारवाल से पूछा कि उन्हें जमानत क्यों मिलनी चाहिए जब चीफ सेक्टरी को असेंबली कमिटियों के नोटिसों के जरिए परेशान किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत दुर्भागयपूर्ण है कि सरकार और अधिकारी दोनों यहां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रकाश जारवाल की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा माहौल बनाए जाने की जरूरत है, जहां ये दोनों सेफ महसूस करें। विधानसभा कमिटियों की ओर से सीएस को लगातार मिल रहे नोटिसों को लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि विधायकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की वजह से एक अधिकारी को इस तरह परेशान नहीं किया जा सकता।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां सरकार और अधिकारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। एक दूसरे को धमका रहे हैं। प्रकाश जारवाल की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने दूसरे आरोपी अमानतुल्लाह खान की जमानत अर्जी पर पुलिस को निर्देश दिया कि वह कोर्ट को मामले की जांच के बारे में बताए। पुलिस को अगली सुनवाई की तारीख 12 मार्च से पहले इसकी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दायर करनी है। सीएस से कथित रूप से मारपीट के आरोप में जारवाल की 20 फरवरी को गिरफ्तारी हुई थी, तब से वो जेल में हैं।
जस्टिस गुप्ता ने आप विधायक की वकील से कहा कि आप इस तरह से शिकायतकर्ता को परेशान नहीं कर सकते हैं। किसी न किसी तरह चीफ सेक्रेटरी को परेशान किया जा रहा है। क्या जमानत अर्जी खारिज करने के लिए यह आधार काफी नहीं है। कोर्ट को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के नोटिस के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसने सीएस को उनके खिलाफ विधायकों की शिकायत पर अपने सामने पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि उसे इस बात की चिंता है कि यदि एक व्यक्ति मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के सामने पिट सकता है तो बाकी लोगों का क्या होगा। जारवाल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रेबेका जोन्स से कोर्ट ने सवाल किया कि आरोपी विधायक की ओर से कौन इस बात का भरोसा दिलाएगा कि वह दोबारा से ऐसी हरकत नहीं करेगा, क्योंकि उसके खिलाफ पहले भी ऐसे तीन केस दर्ज हो चुके हैं। बचावपक्ष की वकील ने बेंच को बताया कि पिछले सभी केस खत्म हो चुके हैं। इस पर जज ने कहा कि भले ही पुराना कोई केस न बचा हो, लेकिन इससे मौजूदा मामले में जारवाल की भूमिका खत्म नहीं हो जाती। सीएस की ओर से मामले में दखल के लिए अर्जी दाखिल करते हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने बेंच को बताया कि क्वेश्चन एंड रेफरेंस कमिटी ने भी अब उन्हें नोटिस भेज कर अपने सामने पेश होने के लिए कहा है। इससे पहले 23 फरवरी को प्रिविलेज कमिटी ने नोटिस भेज दिया था जिससे ब्यूरोक्रेट पर दबाव बनाया जा सके। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग यह नहीं कह सकते कि ये अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश नहीं कर रहे।
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