H-1B पर सख्ती का भारतीय आईटी कंपनियों पर ज्यादा असर नहींः मोहनदास पाई
|अमेरिका द्वारा एच-1बी पर नियम सख्त करने का कुछ खास असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पर नहीं पड़ेगा। यह कहना है इन्फोसिस के फाउंडर मेंबर रहे टी. वी. मोहनदास पाई का। अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा के नियमों को सख्त करने की खबरों के बीच मोहनदास पाई का यह बयान आया है। आईटी इंडस्ट्री के वेटरन पाई ने कहा कि इसका असर केवल उन कंपनियों पर पड़ेगा जो इस वीजा सिस्टम का गलत तरीके से फायदा उठाते हैं।
अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा पर प्रस्तावित नई नीति के तहत आईटी कंपनियों को यह साबित करने में ज्यादा मेहनत करनी होगी कि एच-1बी के लिए आवेदन करने वाले कर्मचारी की थर्ड पार्टी वर्कसाइट पर बहुत ज्यादा जरूरत है। अमेरिका ने हाल ही में एक सात पन्नों की नई पॉलिसी जारी की है जिसके तहत यूएस सिटिजन ऐंड इमिग्रेशन सर्विस(यूएससीआईएस) केवल उतने वक्त के लिए ही एच-1बी वीजा जारी करेगा जितने वक्त के लिए किसी दूसरे देश के कर्मचारी को थर्ड पार्टी साइट पर काम करने की जरूरत होगी।
मोहनदास पाई ने अपने बयान में कहा, ‘ज्यादातर कंपनियां वहां पर कानूनी दायरे में ही काम कर रही हैं, लेकिन कुछ लोग कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। वीजा नियमों का दुरुपयोग करने वाले इन्हीं लोगों को प्रस्तावित नई पॉलिसी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।’ पाई ने आगे कहा, ‘बड़ी कंपनियों के अलावा कानूनी दायरे में रहकर वहां काम रहीं छोटी आईटी कंपनियों के लिए भी चिंता की कोई बात नहीं है।’
पाई का कहना है कि वीजा प्रोसेस को पहले ही कठिन बनाया जा चुका है, इसलिए नई गाइलाइंस से कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। गौरतलब है कि नए एच-1बी वीजा के लिए 2अप्रैल से आवेदन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है और ऐसा माना जा रहा है कि एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली भारतीय आईटी कंपनियों को नई गाइडलाइंस के बाद काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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