यूपी: 151 प्रवक्ताओं की सूची को हाई कोर्ट में चुनौती
|प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में संविदा पर कार्यरत प्रवक्ताओं का समायोजन करने के लिए जारी 151 प्रवक्ताओं की सूची को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके लिए दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि समायोजन नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है। इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस दयाशंकर त्रिपाठी की पीठ ने प्रदेश सरकार और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस दौरान यदि समायोजन किया जाता है तो वह याचिका पर होने वाले अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
याची डॉक्टर दीनानाथ यादव के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि निदेशक उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग 18 मई 2017 को संविदा पर विभिन्न डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे 151 प्रवक्ताओं का नियमित पदों पर समायोजन करने के लिए सूची जारी की है। यह ऐसे प्रवक्ता हैं जो 30 दिसंबर 2016 के बाद संविदा पर रखे गए हैं। जबकि हाई कोर्ट ने अनुराग त्रिपाठी केस में आदेश दिया था कि 30 दिसंबर 2006 तक ऐसे पदों पर जिनका विज्ञापन जारी नहीं किया गया है, वहीं पर संविदा प्रवक्ताओं को समायोजित किया जाए। जबकि समायोजन 2006 से 2014 के बीच खाली पदों पर किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने यूपी हायर एजुकेशन कमिशन ऐक्ट 28 दिसंबर 2006 में संशोधन का प्रावधान करते हुए कहा था कि जो शिक्षक लगातार तीन सत्र से संविदा पर पढ़ा रहे हैं उनको खाली पदों पर समायोजित कर लिया जाएगा। इस संशोधन को हाई कोर्ट में अनुराधा त्रिपाठी केस में चुनौती दी गई थी। जिस पर हाई कोर्ट ने 30 दिसंबर 2016 तक खाली पदों पर समायोजन का आदेश दिया। इसके साथ ही कहा कि जितनी भी रिक्तियां हैं उनपर नियमित नियुक्ति की जाए।
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