अब ‘ईद के चांद’ हो गए हैं हिंदी के मुहावरे
|कभी हिंदी मुहावरों का प्रचलन इतना अधिक था कि आम बोल-चाल में भी इसका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता था और अब तो यह गाहे-बगाहे कहीं किसी कोने में दिखता है।
कभी हिंदी मुहावरों का प्रचलन इतना अधिक था कि आम बोल-चाल में भी इसका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता था और अब तो यह गाहे-बगाहे कहीं किसी कोने में दिखता है।