पहले ही लेनी चाहिए थी केजरीवाल की मदद : जूलर्स
|मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जूलर्स रैली में अपने सधे हुए भाषण से सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। इससे आने वाले समय में बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी सेंध लग सकती है। इससे ना केवल जूलर्स सेक्टर से जुड़े वोट बल्कि दूसरे बिजनेस से जुड़े वोटर भी बीजेपी के पाले से खिसक सकते हैं। रैली के दौरान अधिकतर जूलर यह कहते नजर आए कि अगर 17 मार्च को रामलीला मैदान में हुई रैली में ही केजरीवाल को बुला लेते तो शायद अभी तक इस समस्या का कुछ समाधान हो जाता।
मेहरा संस जूलर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय मेहरा ने कहा कि हम लोग तो आज तक यही समझते थे कि बीजेपी ही व्यापारियों के हित की पार्टी है। हालांकि, मुख्यमंत्री केजरीवाल की बातें और उनका समर्थन देखते हुए हमारी यह गलतफहमी टूटती नजर आ रही है। केजरीवाल ने खुद ही जूलर्स की जायज मांग पर हमें सपोर्ट करना शुरू किया। जबकि 2 मार्च से लगातार जारी हड़ताल के बावजूद केंद्र सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया।
ऑल इंडिया बुलियंस जूलर्स एंड स्वर्णकार फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी योगेश सिंघल का कहना है कि हमने 17 मार्च को रामलीला मैदान में हुई रैली में एक बार सोचा था कि केजरीवाल को भी आमंत्रित किया जाए। उस वक्त डर था कि कहीं जूलर्स की यह मांग राजनीतिक ना हो जाए और फिर बीजेपी सरकार रोल बैक ही ना करे। अब हमें यह लगने लगा है कि अगर केजरीवाल रामलीला मैदान से ही संबोधित करते तो शायद केंद्र सरकार के कानों तक हमारी आवाज पहुंच जाती। उन्होंने बताया कि 4 और 6 अप्रैल को भी जंतरमंतर पर रैली का आयोजन किया जाएगा। इसमें अब सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा।
इसी तरह से सर्राफा बाजार नांगलोई के अध्यक्ष राकेश कुमार वर्मा की भी यह राय थी कि बीजेपी सरकार व्यापारियों की मानी जाती थी, लेकिन यह सरकार व्यापारियों की अनदेखी कर रही है। आम आदमी ट्रेड विंग के दिल्ली संयोजक ब्रजेश गोयल ने बताया कि इस मामले में हम लोग किसी भी तरह की राजनीति नहीं कर रहे हैं। यह दिल्ली और देश के 6 करोड़ लोगों की आजीविका का सवाल है। करोलबाग बैंक स्ट्रीट पर डायमंड का बिजनेस करने वाले गोपाल मित्तल ने बताया कि हो सकता है कि आने वाले चुनावों में हम लोग बीजेपी की जगह आम आदमी पार्टी को वोट दें।
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि एक्साइज ड्यूटी को वापस लेने में बीजेपी जितनी देरी करेगी। उसे उतना ही इसका राजनीतिक नुकसान होगा। इस मामले में कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को जूलर्स नेताओं से बात करनी चाहिए। केजरीवाल ने भी जूलर्स का साथ देकर देश में यह मेसेज दिया है कि यह केवल जूलर्स की आवाज नहीं है। अगर इनके साथ कुछ बुरा हुआ तो अन्य ट्रेड के व्यापारी भी बीजेपी से दूर हो जाएंगे।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।