9 लाख ब्रिटिश इतने मोटे कि न काम कर सकते, न नौकरी

लंदन
ब्रिटेन में मोटापा बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 9 लाख से ज्यादा ब्रिटिश नागरिक इतने मोटे हैं कि वे कोई काम नहीं कर सकते। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है। ब्रिटेन में मोटापे के कारण सरकारी फायदों का लाभ उठाने वाले लोगों की आधिकारिक संख्या डेढ़ लाख के करीब है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह संख्या असली आंकड़ों से करीब 5 गुना कम है। डिपार्टमेंट फॉर वर्क ऐंड पेंशन्स के लिए मोटापे से जुड़ी एक रिपोर्ट बनाने वाले प्रफेसर डेम केरोल ब्लैक ने बताया कि ब्रिटेन में गंभीर मोटापे के शिकार लोगों की असली तादाद लगभग 9 लाख है।

प्रफेसर केरोल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मोटापा किस तरह इंसान के काम करने की काबिलियत को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़े सही नहीं हैं क्योंकि राहत और सरकारी मदद मांगने वाले लोगों को जिस तरह फॉर्म भरना होता है, उसके कारण सही आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे हैं। रॉयल कॉलेज ऑफ फ़िज़िशन की पूर्व अध्यक्ष प्रफेसर केरोल ने मौजूदा व्यवस्था में, मोटापे के कारण काम नहीं कर पाने वाले लोगों को फॉर्म में केवल एक ही मुख्य बीमारी का जिक्र करना होता है। इसके कारण हजारों-लाखों अन्य मरीज डाइअबिटीज और दिल की बीमारी जैसी मोटापे से जुड़ी अन्य परेशानियों का जिक्र कर देते हैं और उन्हें मोटापे के कारण काम करने में असक्षम लोगों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।

प्रफेसर केरोल का कहना है कि मोटापे से जुड़ी बीमारियों के कारण सरकारी सहायता पाने वाले लोगों के लिए डॉक्टरी इलाज कराना अनिवार्य कर देना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा प्रभावित लोग ठीक होकर वापस काम कर सकेंगे। साथ ही, कंपनियों और दफ्तरों को चाहिए जिन लोगों का वजन ज्यादा है उन्हें स्लिमिंग सेंटर पर भी भेजा करे। प्रफेसर केरोल ने बताया कि जो लोग गंभीर मोटापे की स्थिति में सर्जरी के अलावा और रास्तों का इस्तेमाल करते हैं, उनका वजन कम ही घटता है।

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