84 दंगे : 199 केस बंद, फैसले की जांच करेंगे दो पूर्व जज

विशेष संवाददाता, सुप्रीम कोर्ट

1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित 199 मामले बंद करने के एसआईटी के फैसले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो रिटायर्ड जस्टिस की निगरानी में समिति का गठन किया है। जस्टिस जे.एम पांचाल और जस्टिस एसपी राधाकृष्णन समिति में होंगे और 199 केस बंद करने के एसआईटी के फैसले की जांच करेंगे। समिति 5 सितंबर से काम शुरू करेगी। समिति इस बात को देखेगी कि एसआईटी ने 199 केस बंद करने का जो फैसला किया है वह न्यायसंगत है या नहीं। समिति इस मामले में अपनी राय देगी। ये समिति तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी। सुप्रीम कोर्ट ने समिति से यह भी कहा है कि वह उन 42 मामलों की भी जांच करें, जिन 42 अन्य मामलों को भी बंद करने का एसआईटी ने फैसला किया है।

1984 सिख विरोधी दंगा मामले में 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा था कि वह उन 199 केसों की फाइल कोर्ट के सामने पेश करे, जिन्हें एसआईटी ने जांच के बाद बंद करने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट को इससे पहले बताया गया था कि 199 केसों में एसआईटी जांच के बाद केस बंद किए जाने का फैसला लिया जा चुका है। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दत्तार ने कहा था कि एसआईटी ने 293 केसों को जांच के लिए लिया किया था और 199 केसों को बंद करने का फैसला किया है। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया था कि ये केस तीन दशक पुराना है। केस इसलिए बंद करने पड़े क्योंकि लापता (अनट्रेस्ड) रिपोर्ट आई थी। सिख विरोधी दंगों की जांच से संबंधित जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। अदालत ने पिछली सुनवाई में स्टेटस रिपोर्ट देखते हुए कहा था कि इस मामले में उच्चस्तरीय की कमिटी की जरूरत है जो मामले की रोजाना निगरानी करे। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि 1984 दंगे मामले में कुल साढ़े छह सौ केस दर्ज किए गए थे इनमें 293 केसों की छानबीन की गई थी लेकिन एसआईटी ने 199 केसों को लापता (अनट्रेस्ड) मानते हुए बंद कर दिया था।

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