154 करोड़ से बनारस का ट्रैफिक सिस्टम बनेगा स्मार्ट
|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को जाम की समस्या से निजात दिलाने को 154 करोड़ के प्लान को मंजूरी मिली है। ट्रैफिक सिस्टम को स्मार्ट बनाने का जिम्मा शापूरजी-पालोनजी कंपनी को सौंपा गया है। 15 जनवरी से काम शुरू कर सात महीने में पूरा करने की तैयारी है।
बनारस को स्मार्ट सिटी बनाने में सबसे बड़ी समस्या सड़कों पर लगने वाले जाम की है। ऐसे में स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट के फर्स्ट फेज में ही इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर, सर्विलांस सिस्टम समेत आधा दर्जन विकास कार्य के लिए बीते सितम्बर महीने मे ग्लोबल टेंडर जारी किया गया था। स्मार्ट सिटी बोर्ड ने तकनीकी व लागत की कसौटी पर सभी कंपनियों को कसने के बाद शापूरजी-पालोनजी कंपनी का नाम मंगलवार को फाइनल कर दिया है। इसमें रोल्टा और कन्वेक्सिन कंपनियां सहयोग करेंगी।
स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ व नगर आयुक्त डा. नितिन बंसल ने बताया कि प्लान के मुताबिक शहीद उद्यान में बनने वाले कंट्रोल कमांड सेंटर से शहर के ट्रैफिक सिस्टम पर नजर रखी जाएगी। इसमें डेटा सेंटर व हेल्प डेस्क भी होगा। शहर के सभी 64 चौराहों और प्रमुख मार्गों पर 600 हाइटेक कैमरे लगेंगे जो तेज रफ्तार वाहनों के नंबर प्लेट की फोटो कमांड सेंटर को भेज सकेंगे। कहीं भी सड़क जाम होने पर कमांड सेंटर से ट्रैफिक पुलिस को निर्देश देकर समस्या का निस्तारण कराया जा सकेगा।
टाटा को पीछे छोड़ा
ट्रैफिक सिस्टम को स्मार्ट बनाने की दौड़ में टाटा प्रॉजेक्ट लिमिटेड भी शामिल रही है। तकनीकी रूप से अधिक सक्षम टाटा ने 173 करोड़ का प्लान दिया था जबकि शापूरजी ने 154 करोड़ रूपये के खर्च का प्रस्ताव दिया था। लागत कम होने के चलते शापूरजी-पालोनजी कंपनी ने टाटा को पीछे छोड़ दिया।
दोबार टेंडर
जंक्शन इंप्रूवमेंट व 5 पार्कों को विकसित करने की योजना के लिए दोबार टेंडर जारी करने को स्मार्ट सिटी बोर्ड ने मंजूरी दी है। पहली बार में किसी कंपनी ने टेंडर नहीं डाला। जल्द प्री-ब्रिड बैठक बुलाई जाएगी।
किस पर कितना खर्च
स्मार्ट सिटी बोर्ड के सीईओ के मुताबिक बनरस को स्मार्ट बनाने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर को केंद्र में रखकर 1380 एकड़ परिक्षेत्र को सुंदर, स्वच्छ एंव व्यवस्थित किया जाएगा। पूरे प्रॉजेक्ट की लागत 2520 करोड़ रुपये आएगी। इसमें से क्षेत्र आधारित विकास कार्यों पर 1650 करोड़ और शहर की मुख्य समस्याओं के सामाधान पर 818 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रस्ताव है।
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