सैलरी का संकट, राजनिवास पहुंचा मामला
|नॉर्थ एमसीडी में सैलरी संकट से निपटने और पेंशन आदि का मसला उपराज्यपाल नजीब जंग तक पहुंच गया है। मांग की गई है कि दिल्ली सरकार से एमसीडी की करोड़ों रुपये की बकाया धनराशि दिलाई जाए, ताकि इस संकट से निपटा जा सके। फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने को लेकर भी नॉर्थ एमसीडी और सरकार में लगातार तनातनी चल रही है। इसे भी सुलझाने की गुहार लगाई गई है।
इस समस्या को लेकर स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रवेश वाही ने उपराज्यपाल को पत्र लिखा है। पत्र में इस बात की जानकारी दी गई है कि दिल्ली सरकार लगातार उसके वित्तीय अधिकारों का उल्लंघन कर रही है, जिससे स्टाफ को सैलरी देने में तो समस्या का सामना करना ही पड़ रहा है, साथ ही गरीबों को पेंशन देने में भी गंभीर दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने पत्र में जानकारी दी है कि पिछले साल दिल्ली सरकार ने विधानसभा में एमसीडी में चौथे वित्तीय आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की थी, साथ ही यह भी कहा था कि इसकी बकाया धनराशि जल्द तीनों एमसीडी को पहुंचा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मद में दिल्ली सरकार से एमसीडी को करीब 928 करोड़ रुपये मिलने हैं। लेकिन दिल्ली सरकार उसे देखने में गंभीरता नहीं दिखा रही है। इस मसले को लेकर एमसीडी नेता उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी मुलाकात कर चुके हैं, उनसे आश्वासन के बावजूद यह धनराशि नहीं मिल पा रही है। इस राशि के न मिलने से ठेकेदारों आदि को बकाया नहीं मिल पा रहा है, साथ ही स्वास्थ्य योजनाओं से जुड़े प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। इतना ही नहीं, रिटायर कर्मियों को भी उनका बकाया दिए जाने में खासी समस्याएं आ रही हैं।
दूसरी ओर फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने के मसले पर भी उपराज्यपाल को पत्र लिखा गया है। उन्हें बताया गया है कि करीब डेढ़ साल पूर्व स्थायी समिति व सदन ने एक प्रस्ताव पारित कर फैक्ट्री लाइसेंस खत्म करने का निर्णय लिया था। नियम के अनुसार इस पर मुहर केंद्र सरकार को लगानी है, लेकिन यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार द्वारा केंद्र को भेजा जाना है। इस मसले पर एमसीडी नेताओं के अलावा एमसीडी कमिश्नर भी दिल्ली सरकार को लगातार पत्र लिख रहे हैं। लेकिन दिल्ली सरकार ने इस निर्णय को केंद्र के पास अभी तक नहीं भेजा है। वाही के अनुसार इस निर्णय से लाखों फैक्ट्री वालों को लाभ मिलेगा, लेकिन सरकार का इस मसले में कदम न उठाना कुछ संशय पैदा कर रहा है।
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