सीनियर ब्यूरोक्रेट गैमलिन और सरकार फिर टकराए
|प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच सीनियर अधिकारियों की नियुक्ति व तैनाती के अधिकारों को लेकर जारी लड़ाई के बीच सीनियर ब्यूरोक्रेट शकुंतला गैमलिन की एलजी को लिखी गई चिट्ठी से नया विवाद पैदा हो गया है। प्रधान सचिव (उद्योग) शकुंतला गैमलिन ने एलजी नजीब जंग को लिखी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने उन पर दिल्ली के तीन इंडस्ट्रियल एरिया के लैंड यूज को बदलने के लिए दबाव डाला। उद्योग मंत्री जैन ने उन पर दबाव डाला कि वह नरेला, बवाना और भोरगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया की जमीन को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए एक कैबिनेट नोट तैयार करें। गैमलिन के मुताबिक, उन्होंने मंत्री को बता दिया कि दिल्ली में जमीन के अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं हैं और यह अधिकार एलजी के पास सुरक्षित है। पिछले हफ्ते एलजी को लिखी 11 बिंदुओं वाली अपनी चिट्ठी में गैमलिन ने एलजी को बताया है कि पहले तो उन पर बिजली कंपनियों से मिलीभगत के झूठे आरोप लगाए गए और अब इंडस्ट्री मिनिस्टर होने के नाते सत्येंद्र जैन उन पर लगातार एक नोट तैयार कर देने के लिए दबाव बना रहे हैं, जिसे वह कैबिनेट की मीटिंग में मंत्रिपरिषद के सामने विचार के लिए रख सकें। गैमलिन ने बताया है कि मंत्री ने उनसे दिल्ली के इंडस्ट्रियल प्लॉट्स को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए नोट तैयार करने को कहा था। गैमलिन ने मंत्री को यह भी बताया कि पूर्व में इस पॉलिसी की अनदेखी करके या किसी अन्य कारण से कुछ प्लॉटों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड कर दिया गया था, जिसके बाद उन मामलों में अभी तक विजिलेंस जांच चल रही है। गैमलिन का दावा है कि यह बताने के बावजूद मंत्री सत्येंद्र जैन न केवल उन पर लगातार नोट तैयार करने का दबाव बनाते रहे, बल्कि ऐसा न करने की वजह से कई बार उनके सामने अपनी नाराजगी भी जताई। दिल्ली में 18 इंडस्ट्रियल एरिया हैं, जहां ज्यादातर प्लॉट्स लीज होल्ड पर है। इसके कारण प्लॉट के ओनर्स इन प्लॉट को या उन पर लगी अपनी इंडस्ट्री को किसी को बेच नहीं सकते। इन प्लॉट्स को डीडीए केवल एक ओनर से दूसरे ओनर को ट्रांसफर ही कर सकता है। अगर प्लॉट लेने के बावजूद कोई उस पर इंडस्ट्री नहीं लगाता है, तो उसका अलॉटमेंट कैंसल कर दिया जाता है और प्लॉट किसी और को अलॉट कर दिया जाता है। ऐसे में अगर कोई वास्तविक अलॉटी बुजुर्ग हो गया है और इंडस्ट्री को चलाने की हालत में नहीं है, तो वह अपना प्लॉट या उस पर लगी इंडस्ट्री किसी को बेच नहीं सकता। गौरतलब है कि शकुंतला गैमलिन ही वह ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें एलजी द्वारा कार्यवाहक चीफ सेक्रेट्री नियुक्त किए जाने पर केजरीवाल सरकार और एलजी नजीब जंग के बीच अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई। दिल्ली सरकार का तर्क था कि एलजी को इस तरह से अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है। साथ ही, गैमलिन पर निजी बिजली कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप भी सरकार की ओर से लगाया गया था। केंद्र द्वारा इस संबंध में दिल्ली सरकार से ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार छीने जाने का नोटिफिकेशन जारी करने के बाद मामले ने और तूल पकड़ा और यह मामला फिलहाल हाई कोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।