साउथ चाइना सी: अमेरिका के खिलाफ चीन आक्रामक, तैनात किए Su-35 फाइटर जेट्स
|साउथ चाइना सी में अपना वर्चस्व जमाने में जुटे चीन ने अब अमेरिका की कथित ‘दखलअंदाजी’ का जवाब आक्रामकता के साथ देना शुरू कर दिया है। चीन ने रूस से खरीदे गए नए Su-35 फाइटर जेट्स को साउथ चाइना सी में अपने कॉम्बैट मिशन के लिए तैनात किया है। विवादित साउथ चाइना सी में भारत और अमेरिका नौवहन और फ्लाइट्स की स्वतंत्रता की पुरजोर वकालत करते हैं। अकसर अमेरिका के विमान और युद्धपोत यहां नजर आते रहे हैं, जिसे लेकर चीन कई बार अमेरिका को चेतावनी भी दे चुका है। हाल ही में आसियान देशों ने भी साउथ चाइना सी में चीन की मनमानी के खिलाफ नाराजगी जताई थी।
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चीन की वायुसेना ने एक बयान जारी कर बताया कि चीनी वायुसेना ने हाल ही में अपने Su-35 फाइटर जेट्स को साउथ चाइना सी के ऊपर जॉइंट कॉम्बैट पट्रोल में हिस्सा लेने के लिए भेजा था। चीन के सरकारी अखबार पीपल्स डेली के मुताबिक, यह पहली दफा है जब चीन की सेना ने Su-35 विमानों की तैनाती को लेकर सार्वजनिक बयान जारी किया है। ये विमान 2016 के आखिर में चीन ने रूस से खरीदे थे। हालांकि चीनी वायुसेना की ओर से यह नहीं बताया गया है कि इन विमानों ने वहां पट्रोलिंग कब की थी। बयान में सिर्फ इतना बताया गया है कि कॉम्बैट अभ्यास में इन विमानों की हिस्सेदारी से वायुसेना की लॉन्ग-रेंज सामरिक क्षमता को ताकत मिलेगी। यह भी कहा गया है कि वायुसेना अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण पर लगातर जोर देती रहेगी।
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सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को सेना के पूर्व अफसर ने बताया, ‘चीन द्वारा इस क्षेत्र में Su-35 फाइटर जेट्स की तैनाती अमेरिका के उकसावे का नतीजा है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि वायुसेना ने यह नहीं बताया है कि इन जेट्स की तैनाती कहां की गई थी, लेकिन अगर वे साउथ चाइना सी के किसी आइलैंड पर उतारे गए हैं तो यह उन ताकतों के लिए कड़ा संदेश है जो क्षेत्रीय स्थिरता को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।’
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बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे जलक्षेत्र पर अपना दावा जताता है। चीन यहां छोटे टापुओं को द्वीपों में बदल रहा है और वहां सैन्य सुविधाएं और उपकरण लगा रहा है। चीन के पड़ोसी देश इसे लेकर कई बार आपत्ति जाहिर कर चुके हैं, लेकिन चीन अपनी आक्रामक और विस्तारवादी नीति से पीछे हटने को तैयार नहीं है। आसियान के सदस्य मलयेशिया, ब्रुनेई, फिलीपींस, वियतनाम और ताईवान भी यहां कुछ हिस्सों पर दावे जताते हैं। चीन अपनी ताकत और अन्य तरीकों के बूते अपेक्षाकृत छोटे देशों के विरोध का दबाता रहा है।
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