सरकार ने रिलायंस पावर के एक कोल ब्लॉक को रद्द किया

सरिता सिंह, नई दिल्ली

सरकार ने अनिल अंबानी ग्रुप के सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रॉजेक्ट से जुड़े एक कोल ब्लॉक को रद्द करने का निर्णय लिया है। सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के अनुसार है जिसमें अन्य प्लांटों के लिए इस प्रकार की यूनिटों से अधिक कोयले के कमर्शल इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कहा गया है।

इस निर्णय में अन्य प्लांटों के लिए 4,000 मेगावाट प्रॉजेक्ट के अन्य खानों के कोयले के इस्तेमाल से भी मना किया गया है। इस आदेश में रिलायंस पावर के सासन प्रॉजेक्ट को आरंभ में दी गई खास व्यवस्था को भी समाप्त किया गया है। इससे रिलायंस को 21,000 करोड़ रुपये के अपने चित्रांगी पॉवर प्रॉजेक्ट को शुरू करने में मदद मिलती।

सीनियर सरकारी सूत्रों ने बताया कि बिजली, कोयला एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को सासन के तीन खानों में से एक के आवंटन को रद्द करने और शेष खानों से अतिरिक्त कोयले के इस्तेमाल की अनुमित समाप्त करने को भी मंजूरी दी। हाल ही में कंपनी ने 36,000 करोड़ रुपये के तिलैया प्रॉजेक्ट को भी रद्द कर दिया जबकि कृष्णपट्टम प्रॉजेक्ट पर कोयल के निर्यात मूल्य के बहुत ही ज्यादा बढ़ जाने के कारण कोई खास प्रगति नहीं हुई है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सरकार का नजरिया है कि इस निर्णय में संलिप्त पक्षों पर ध्यान न देकर राष्ट्रीय हित के लिए नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। संसद की पीएसी ने भी अतिरिक्त कोयले के इस्तेमाल के बारे में उल्लेख किया था।’

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 25 अगस्त को व्यवस्था दी थी कि यूएमपीपी को जो कोयला भंडारों का आवंटन किया गया है उसका इस्तेमाल सिर्फ यूएमपीपी के लिए ही किया जाएगा और कोयले के कमर्शल इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कई कंपनियों को आवंटित कोयला खानों को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था ने कोयला मंत्री को यूएमपीपी से जुड़े खानों पर फिर से गौर करने के लिए प्रेरित किया।

कोयला मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘यह निर्णय पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मद्देनजर लिया गया है। सरकार ने अतिरिक्त कोयले के इस्तेमाल के लिए रिलायंस पावर को दिए गए अधिकार को वापस लेने का निर्णय किया है। छत्रसाल कोयला भंडार के आवंटन को रद्द कर दिया क्योंकि यह सरप्लस है और मोहर एवं मोहर अमलोहरी कोयल भंडारों में कोयला का इस्तेमाल सासन युएमपीपी तक ही सीमित रहेगा।’

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Navbharat Times