सऊदी अरब में बोले ट्रंप, आतंकवाद को अपनी जमीन से खत्म करना हर देश की जिम्मेदारी

नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि अपनी-अपनी जमीन को आतंकवाद से मुक्त रखना सभी देशों की सबसे बड़ी ड्यूटी है। उन्होंने मध्य पूर्व में आतंकवाद को खत्म करने के लिए ‘देशों के गठबंधन’ बनाए जाने की अपील की। सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अरब-इस्लामी अमेरिकी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के देशों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने ईरान पर मध्य पूर्व में अस्थिरता और अव्यवस्था फैलाने का आरोप लगाया।

ट्रंप ने विश्व के मुस्लिम नेताओं से कहा कि उनका संदेश ‘दोस्ती, उम्मीद और प्यार’ का है। उन्होंने साथ में यह भी स्पष्ट किया कि मजहबी कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में मुस्लिम बहुल देशों को नेतृत्व संभालना चाहिए। ट्रंप ने कहा, ‘यह अलग-अलग धर्मों, पंथ या संस्कृतियों के बीच लड़ाई नहीं है। यह बर्बर अपराधियों से लड़ाई है जो धर्म के नाम पर मानव जीवन और मासूम लोगों को मिटाना चाहते हैं। यह अच्छाई और बुराई के बीच लड़ाई है। हम इस बुराई पर तभी जीत पा सकते हैं जब अच्छी ताकतें एक हो जाएं।’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि अरब के देश इस ‘उन्मादी हिंसा’ के सबसे ज्यादा शिकार हुए। उन्होंने उम्मीद जताई कि शिखर सम्मेलन में मुस्लिम देशों के नेताओं का जमावड़ा मध्य पूर्व के साथ-साथ संभवतः पूरे विश्व में शांति का प्रारंभ हो सकता है। डॉनल्ड ट्रंप अपने संबोधन में आतंकवाद के बाद ईरान पर बरसे। उन्होंने हसन रूहानी सरकार को हथियारबंद लड़ाकों को हथियार और प्रशिक्षण देकर क्षेत्र में अस्थिरता के बीज बोने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ईरान मध्य पूर्व में विनाश और अव्यवस्था फैला रहा है।

सऊदी अरब के शाह सलमान ने भी अपने संबोधन में ट्रंप की बातों का समर्थन किया। शाह ने ईरान को वैश्विक आतंकवाद रूपी ‘भाले की नोक’ बताते हुए कहा कि सऊदी अरब आतंकवाद के लिए फंडिंग करने वालों पर कोई रियायत नहीं करेगा।

शाह सलमान ने कहा, ‘बुरी ताकतों और दुनिया में जहां कहीं भी चरमपंथ हो, उनके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना हमारी जिम्मेदारी है…यह खुदा के प्रति, हमारे लोगों के प्रति और पूरी दुनिया के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। ईरान वैश्विक आतंकवाद रूपी भाले की नोक की नुमांइदगी करता है।’

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दो दिनों के सऊदी अरब के दौरे पर हैं। बतौर राष्ट्रपति यह उनका पहला विदेश दौरा है। अरब-इस्लामी अमेरिकी शिखर सम्मलेन में उनका संबोधन आकर्षण का केंद्र था। अरब और मुस्लिम जगत के 50 से ज्यादा नेताओं के बीच उन्होंने अरब क्षेत्र में अमेरिका की नई भूमिका को रेखांकित करने की कोशिश की। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की सभी देशों को मिलकर आतंकवाद का सफाया करना होगा।

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