संसदीय सचिवों की सदस्यता पर आज सुनवाई

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

आम आदमी पार्टी सरकार के 21 संसदीय सचिवों की सदस्यता को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग में आज फिर सुनवाई है। संभावना जताई जा रही है कि सुनवाई आखिरी दौर में है। वैसे आप के कुछ सचिवों ने सुनवाई में न आने की अर्जी लगा रखी है, ताकि उन्हें अगली सुनवाई की तारीख मिल जाए। पूरी सुनवाई के बाद आयोग सीक्रेट रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रपति को भेज देगा, उसके बाद निर्णय होगा कि इन सचिवों (विधायकों) की सदस्यता रहेगी या जाएगी।

आप सरकार ने पिछले साल मार्च माह में अपने 21 विधायकों को विभिन्न विभागों का संसदीय सचिव बनाया था। लाभ के पद का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट के युवा वकील प्रशांत पटेल ने सीधे राष्ट्रपति को याचिका भेजी थी और इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। राष्ट्रपति ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मसले को चुनाव आयोग को भेज दिया, तब से वहां लगातार सुनवाई चल रही है। पिछली सुनवाई में सरकार के वकीलों ने प्रशांत की याचिका को ही अवैध ठहराने का प्रयास किया था, लेकिन आयोग ने उनकी बात नहीं मानी। सूत्रों के अनुसार सुनवाई पूरी हो चुकी है और आयोग को सिर्फ यह फैसला लेना है कि ये सभी सचिव लाभ का पद पा रहे थे या नहीं। चूंकि मामले में कोई झोल न रहे, इसलिए सुनवाई जारी है।

आयोग में आज दोपहर बाद फिर से सुनवाई होनी है। जहां सभी संसदीय सचिवों को अपने वकीलों के साथ हाजिर होना है। लेकिन बताते हैं कि प्रवीण कुमार, कैलाश गहलोत, नरेश यादव, जरनैल सिंह आदि संसदीय सचिव ने निजी कारणों के चलते आयोग में न आने की अर्जी लगा रखी है। अब देखना यह होगा कि आयोग इस पर संज्ञान लेगा और अगली तिथि मुकर्रर करेगा या आज ही सुनवाई फाइनल कर देगा। जो व्यवस्था है उसके अनुसार सचिवों की सदस्यता की बाबत कोई निर्णय नहीं लेगा। वह सारी यथास्थिति के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार करेगा और यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी। सिर्फ राष्ट्रपति ही फैसला लेंगे कि इन विधायकों की सदस्यता रहेगी या उसे रद्द कर दिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो छह माह के भीतर इन विधायकों की 21 सीटों पर फिर से चुनाव होंगे। इस मसले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन खासे आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि इन विधायकों की सदस्यता किसी हाल में नहीं बचेगी और इस साल के अंत तक विधानसभा के उपचुनाव जरूर हो जाएंगे।

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