शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन से टेंशन में चीन, कहा- युद्ध के वक्त कहीं शाओमी, लेनोवो पर कब्जा न कर ले भारत

दिल्ली
49 साल पुराने एनमी प्रॉपर्टी (अमेंडमेंट ऐंड वैलिडेशन) ऐक्ट में संशोधन के बाद भारत सरकार उन लोगों की 9,400 से ज्यादा संपत्तियां नीलाम करने जा रही है। केंद्र सरकार के इस कदम से चीन घबराया हुआ है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में भारत में चीनी निवेश में काफी तेजी आई है। ऐसे में चीन को डर लग रहा है कि युद्ध की स्थिति में भारत कहीं शाओमी और लेनेवो जैसी कंपनियों की संपत्तियों पर भी कब्जा न कर ले।

पिछले साल डोकलाम में चीन की ओर से सड़क निर्माण को लेकर भारत के साथ लंबे वक्त तक तनाव बना रहा। यहां दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने खड़े रहे। हालांकि, बाद में विवाद सुलझा तो लिया गया, लेकिन विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव कायम है।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है, ‘अगर चीन और भारत सैन्य संघर्ष में उलझते हैं तो भारत में कारोबार कर रही चीनी कंपनियों पर भारत सरकार कब्जा कर सकती है।’ लेख में कहा गया है कि पीएम मोदी के आर्थिक सुधारों से भारत निवेश के लिहाज से आकर्षक बन गया है, लेकिन शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन से चीनी निवेशकों में डर की भावना पनप सकती है।

आर्टिकल कहता है, ‘…अगर शत्रु संपत्ति कानून चीनी निवेशकों में डर पैदा करता है और खुद को निवेश का आकर्षक स्थल बनाने के भारत के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है तो दूसरी कोशिशें भी बेकार साबित होंगी। निवेशकों का भरोसा दोबारा जीतने के लिए भारत को कानूनी सुधार की जरूरत है। चीन की नागरिकता लेनेवाले लोगों की भारत में छूट गई संपत्ति को जब्त करने को लोग बहुत आराम से चीन के खिलाफ भारत की शत्रुतापूर्ण कार्रवाई मानेंगे। इससे भारत को मिलनेवाले चीनी निवेश को नुकसान पहुंचेगा।’

आर्टिकल कहता है, ‘हाल के वर्षों में स्मार्टफोन बनानेवाली कंपनी शाओमी और कंप्यूटर निर्माता लेनोवो समेत कई चीनी कंपनियां भारत की ओर आकर्षित हुई हैं। 2016 में चीन का भारत में प्रत्यक्ष निवेश पिछले साल के मुकाबले कथित रूप से कई गुना बढ़ गया। इस निवेश से रोजगार का संकट झेल रहे भारत के युवाओं को नौकरियां मिलीं। हालांकि, निवेश बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि चीनी कंपनियां जोखिमों से अवगत नहीं थीं। चीन के कुछ लोग सीमा विवाद के वक्त भी डर गए थे। भारत अगर चीनी निवेशकों की संपत्ति और उनके लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर उनमें फिर से भरोसा पैदा नहीं कर सका तो एनमी प्रॉपर्टी ऐक्ट से निवेशकों का विश्वास हिलेगा।’

शत्रु संपत्ति अधिनियम पर संसद की सिलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी नागरिकता ग्रहण कर लेनेवालों की 11,882 एकड़ में फैली कुल 9,280 अचल संपत्तियां भारत में हैं। ऐसी अचल संपत्तियों की कुल कीमत 1.04 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है जबकि 266 लिस्टेड कंपनियों में 2,610 करोड़ रुपये के शेयर के रूप में चल संपत्तियां भी हैं। इनके अलावा, चल संपत्ति में 318 अनलिस्टेड कंपनियों में 24 करोड़ रुपये के शेयर, 40 लाख रुपये का गोल्ड और जूलरी, 177 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस, 150 करोड़ रुपये का सरकारी सिक्यॉरिटीज में निवेश और 160 करोड़ रुपये के एफडी भी शामिल हैं।

साथ ही, चीनी नागरिकों की 149 अचल संपत्तियां पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली सरकारों के अधीन हैं। साल 2008 में ईटी इंटेलिजेंस ग्रुप ने एक स्टडी की थी। तब पता चला था कि विप्रो, सिप्ला एसीसी, टाटा और डीसीएम ग्रुप कंपनी, बॉम्बे बुम्रा ट्रेंडिंग कंपनी, बल्लारपुर इडंस्ट्रीज, डीएलएफ, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, इंडिया सीमेंट और आदित्य बिड़ला नुवो जैसी कंपनियों में शेयर पड़े हैं।

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