राजौरी गार्डन उपचुनाव: AAP के लिए लिटमस टेस्ट, बीजेपी के लिए वापसी तो कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई

नई दिल्ली
दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव के लिए शुक्रवार को चुनाव प्रचार खत्म हो गया, जहां सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। फरवरी में राजौरी गार्डन से AAP विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा दे देने से यहां उपचुनाव हो रहे हैं। यहां AAP ने हरजीत सिंह, बीजेपी-अकाली गठबंधन ने मनजिंदर सिंह सिरसा और कांग्रेस ने ख्याला वार्ड से पार्षद मीनाक्षी चंदीला को उम्मीदवार बनाया है।

साल 2015 के चुनाव में पूर्व पत्रकार जरनैल सिंह ने सिरसा को 10 हजार मतों से हराया था जबकि 2013 के चुनाव में सिरसा ने कांग्रेस की धनवंती चंदीला को हराकर कांग्रेस की इस परंपरागत सीट को अपने कब्जे में लिया था। पंजाबी बहुल इस सीट पर चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए स्टार प्रचारक और पंजाब में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को प्रचार में उतारा। अपने चिरपरिचित अंदाज में सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन के साथ इलाके में रोडशो कर AAP को पंजाब की तर्ज पर दिल्ली में अब मुकाबले से बाहर बता दिया। इससे पहले माकन ने पिछले सप्ताह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजौरी गार्डन में रैली कर पंजाबी समुदाय में कांग्रेस के पुराने जनाधार को वापस पाने की कोशिश की थी।

गौरतलब है कि माकन खुद इस सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं। बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, सांसद परेश रावल और अकाली नेता सुखबीर बादल ने इलाके में रोड शो कर सिरसा के पक्ष में वोट मांगे। प्रचार के अंतिम दिन AAP के स्थानीय नेताओं ने घर-घर जाकर वोट मांगने की रणनीति अपनाई। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता एच.एस. फुल्का ने गुरुवार को इलाके में रैली और रोडशो कर धुंआधार प्रचार किया था।

राजौरी गार्डन के उपचुनाव में AAP के लिए सबसे बडी चुनौती पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में करारी हार को दिल्ली में बेअसर साबित करने की है। इसके लिए केजरीवाल सहित सभी AAP नेता ईवीएम में गड़बड़ी को हार की वजह बताते हुए इसे अहम चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे है। बीजेपी इस उपचुनाव को हारी हुई सीट AAP से छीनने के सुनहरे अवसर के रूप में देख रही है। इसलिए बीजेपी चार राज्यों में अपनी ताजा जीत को भुनाने और केजरीवाल सरकार की नाकामियों को मुद्दा बनाने में जुटी हुई है।

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