रघुराम राजन ने दिया रेट कट का सिग्नल

ईटी ब्यूरो, मुंबई

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि मॉनसून की प्रोग्रेस अब तक काफी मजबूत रही है। इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि सामान्य बारिश से इस साल इंटरेस्ट रेट में कटौती की संभावना बढ़ जाएगी क्योंकि फूड इनफ्लेशन पर प्रेशर कम होगा।

राजन ने स्टॉकहोम में रिस्कबैंक मैक्रोप्रूडेंशल कॉन्फ्रेंस में यह बयान दिया। इससे इनवेस्टर्स को राहत मिल सकती है, जो रिजर्व बैंक के इस साल के अंत तक महंगाई दर का अनुमान 6 पर्सेंट करने से मायूस थे। उन्हें लग रहा था कि महंगाई दर में बढ़ोतरी का अनुमान लगाकर रिजर्व बैंक ने एक तरह से इस साल और रेट कट पर ब्रेक लगा दिया है। मीडियम टर्म में आरबीआई ने रिटेल इनफ्लेशन के लिए 4 पर्सेंट का टारगेट रखा है।

आरबीआई गवर्नर ने इस महीने की शुरुआत में मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू करने के बाद कहा था, ‘अगर फूड मैनेजमेंट सही ढंग से किया गया तो बेस इफेक्ट के चलते अगस्त तक महंगाई दर कम रहेगी, लेकिन इसके बाद यह बढ़कर जनवरी 2016 तक 6 पर्सेंट तक पहुंच सकती है। अप्रैल में हमने महंगाई दर के बारे में जो अनुमान लगाया था, यह उससे कुछ अधिक है।’ उन्होंने यह भी कहा था, ‘भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि मॉनसून की बारिश सामान्य से कम रह सकती है। वहीं, प्राइवेट वेदर एजेंसी ने कहा है कि इस साल बारिश सामान्य रहेगी। हालांकि, मौसम विभाग के अनुमान को ध्यान में रखने और सर्विस टैक्स के बढ़कर 14 पर्सेंट होने के बाद ऐसा लगता है कि महंगाई दर में आगे बढ़ोतरी होगी।’ हालांकि, जून से सितंबर तक चलने वाले मॉनसून सीजन के पहले महीने में बारिश सामान्य से अधिक रही है। इस सीजन के लिए जुलाई भी अहम महीना होता है। 2 जून के मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में राजन ने यह भी कहा था कि वह इंटरेस्ट रेट पर आगे कोई फैसला वह बारिश सहित दूसरे अहम डेटा देखकर करेंगे।

राजन मॉनेटरी पॉलिसी स्टेटमेंट्स के अलावा इकनॉमिक एक्सपैंशन पर शायद ही कभी बोलते हैं, उन्होंने बुधवार को कहा कि हमें और ज्यादा ग्रोथ की जरूरत है। इकॉनमी की रफ्तार और तेज होनी चाहिए। इससे संकेत मिलता है कि भले ही आरबीआई ने महंगाई दर को कंट्रोल में करने को अपनी प्रायॉरिटी बनाया है, लेकिन उसका झुकाव अब इकनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने की ओर है। वह इकनॉमिक रिवाइवल के लिए अपनी पॉलिसी में कुछ बदलाव कर सकता है।

राजन ने पहले कहा है कि अमेरिका में इंटरेस्ट रेट बढ़ने का भारत सहित दूसरे मार्केट्स पर असर होगा। बुधवार को उन्होंने कहा कि ग्रीस क्राइसिस से फाइनेंशल मार्केट्स में खलबली मच सकती है। इसका असर भारत पर भी होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय फाइनेंशल मार्केट ग्रीस क्राइसिस से निपटने में सक्षम है।

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