रघुराम राजन ने तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के तमगे को लेकर ‘उन्माद’ से बचने को कहा

पुणे
भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा मिलने से उपजे ‘उन्माद’ के प्रति आगाह करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि देश को तय मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले अभी लंबा सफर तय करना है। राजन ने यह कहकर एक तरह से भारत के बारे में अपनी ‘अंधों में काना राजा’ की टिप्पणी को सही ठहराने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय बैंकर को व्यावहारिक होना होता है, और मैं इस उन्माद का शिकार नहीं हो सकता कि भारत सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली विशाल अर्थव्यवस्था है।’

यह भी पढ़ें: राजन के बयान से निर्मला नाखुश

अपनी ‘अंधों में काना राजा’ टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणियों को बेवजह अलग-थलग करके देखा गया और उन्होंने दृष्टिहीनों से माफी भी मांगी, यदि उन्हें इस मुहावरे के इस्तेमाल से कोई तकलीफ हुई हो तो। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। राजन ने कहा, ‘हमें अपने मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले लंबा सफर तय करना है। हम हर भारतीय को मर्यादित आजीविका दे सकें, इसके लिए लगातार आर्थिक वृद्धि के इस प्रदर्शन को 20 साल तक बरकरार रखने की जरूरत है।’

यह भी पढ़ें: ‘अंधों में काना राजा जैसी है भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है लेकिन इसे ऐसे देश के तौर पर देखा जा रहा है जिसने अपनी क्षमता से कम प्रदर्शन किया है और उसे ढांचागत सुधार को ‘कार्यान्वित, कार्यान्वित और कार्यान्वित’ करना चाहिए। राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान (NIBM) के दीक्षांत समारोह में राजन ने कहा कि भारत का अभी अपनी क्षमता वृद्धि प्राप्त करना शेष है हालांकि, वह इस दिशा में अग्रसर है और लंबित सुधारों के साथ यह वृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर सकता है।

यह भी पढ़ें: राजन के बयान पर बोले वित्त मंत्री अरुण जेटली

पिछले सप्ताह एक विदेशी अखबार को दिए गए साक्षात्कार का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणी को भारत की सफलता को नीचा दिखाने के तौर पर देखा गया बजाए इसके कि इस टिप्पणी में और अधिक प्रयास करने पर जोर दिया गया है। RBI गर्वनर ने इस साक्षात्कार में भारत के सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था की स्थिति को ‘अंधों में काना राजा’ करार दिया था।

यह भी पढ़ें: क्रांति की दहलीज पर खड़ा है भारत: राजन

उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग जो भी शब्द या मुहावरे बोलते हैं उनका अर्थ निकाला जाता है। जब शब्दों को अखबारों की सुर्खियों में बेवजह तूल दिया जाता है तो यह किसी के लिए आसान हो जाता है जो इसमें शरारत के लिए अपने अर्थ शामिल करना चाहता है।’ गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन की टिप्पणी का खंडन करते हुए कहा था कि विश्व के शेष हिस्से के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था ज्यादा तेजी और दरअसल सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही है।

यह भी पढ़ें: राजन ने बताया पनामा लीक्स जैसी समस्या का समाधान

वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राजन की टिप्पणी को हल्के में नहीं लिया और कहा कि इसके स्थान पर बेहतर शब्दों का उपयोग किया जा सकता था। राजन ने बुधवार को कहा कि आम तौर पर उपयोग किए जाने वाले शब्दों और मुहावरों का सबसे अधिक आसानी से और जानबूझ कर गलत अर्थ निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘यदि हम तर्कसंगत सार्वजनिक बहस करना चाहते हैं तो हमें शब्दों को उनके परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए न कि मीनमेख निकालना चाहिए।’
यह भी देखें: रघुराम इसलिए हैं देश की इकॉनमी के ‘राजन’

उन्होंने हालांकि, नेत्रहीनों से माफी मांगी जिन्होंने राजन की इस मुहावरे के उपयोग के लिए आलोचना की। राजन ने कहा, ‘मैं उस वर्ग से माफी जरूर मांगना चाहता हूं जिसे मैंने अपने शब्दों से तकलीफ पहुंचाई और वह हैं नेत्रहीन।’ इससे पहले भारत के ‘आकर्षक गंतव्य’ होने के संबंध में उनकी राय पूछने पर राजन ने पिछले सप्ताह एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे लगता है कि अभी ऐसी जगह पहुंचना बाकी है जहां हम संतुष्ट महसूस करें। हमारे यहां एक कहावत है, ‘अंधों में काना राजा।’ हमारी स्थिति कुछ ऐसी ही है।”

इस स्टोरी को इंग्लिश में पढ़ें: ‘One-eyed King’ comment misinterpreted: Rajan

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business