रक्षा मंत्रालय का दावा, बैंक के कैलकुलेशन में गड़बड़ी
|वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल की खुदकुशी के बाद विपक्ष सरकार पर आक्रामक है। सरकार के दावों पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पेंशन से जुड़ी ज्यादातर शिकायतें बैंकों के कैलकुलेशन में गलती से जुड़ी हैं।
यहां मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सुइसाइड के हालात ने गंभीर मुद्दे को सामने रखा है, जिसकी व्यापक जांच की जरूरत है। 20 लाख 60 हजार पेंशनरों में सिर्फ एक लाख को लाभ देना बाकी रह गया है। बाकी रह गए मामलों में जटिलताओं को सुलझाने के लिए त्वरित व्यवस्था की गई है।
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ज्यादातर मामलों को पूर्व सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ सुलझा रहे हैं, जो हर जिले में बने हुए हैं। वन रैंक, वन पेंशन की जटिलताओं को सुलझाने में रक्षा मंत्री व्यक्तिगत दिलचस्पी ले रहे हैं। खुद उन्होंने कम से कम 500 शिकायतों का निवारण किया है, जो उन्हें ईमेल या अन्य माध्यमों से भेजे गए हैं। इसमें 50 और 60 के दशक में रिटायर हुए सैनिकों के भी मामले थे।
बताया गया है कि रक्षा मंत्री को अब भी 10-15 ई-मेल मिल रहे हैं, जिन्हें सही जगह पर जितनी जल्दी हो सके, फॉरवर्ड कर दिया जाता है। बड़ी संख्या में पेंशनर देश के सुदूर इलाकों में रहते हैं, जहां नई गणना के हिसाब से बैंक अब भी तालमेल बना रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने इन शाखाओं में स्पेशल अफसरों का इंतजाम किया है, बैंकों को उन पेंशनरों के लिए वन रैंक वन पेंशन जारी करने के लिए भी कहा गया है, जिनके कागजात पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं। उनके मामले में बाद में पुष्टि कर ली जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन पर फैसले के तुरंत बाद करीब साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। सरकार बता चुकी है कि वन रैंक, वन पेंशन पर सालाना खर्च 7500 करोड़ रुपये होगा, जबकि एरियर पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
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