यूपी सरकार ने 15 हजार कर्मी डिमोट किए

[email protected]

नई दिल्ली : प्रोमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की कार्रवाई रिपोर्ट पर संतुष्टि जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें यूपी सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की गुहार लगाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी में डिमोट किए गए अधिकारियों को अगर कार्रवाई के मामले में कोई शिकायत है तो वह अपनी शिकायत यूपी सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (पर्सनल) से कर सकते हैं। अगर वहां से उन्हें राहत या संतुष्टि नहीं मिलती तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूपी के चीफ सेक्रेटरी की ओर से हलफनामा पेश किया गया। एफिडेविट में बताया गया कि कुल 20807 कर्मचारियों की पहचान सुनिश्चित की गई और उनमें से 15226 को डिमोट किया गया है। साथ ही कहा गया कि बाकी के 5581 कर्मचारी हैं जिनमें कुछ रिटायर हो गए, कुछ की मौत हो गई, कुछ लोगो ने इस्तीफा दे दिया और कई यूपी से उत्तराखंड जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका का निपटारा कर दिया। सरकार की तरफ से डिमोट किए गए कर्मचारियों व इस कार्रवाई से प्रभावित कुछ कर्मियों की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेंडिंग है जिस पर सुप्रीम कोर्ट 3 नवंबर को सुनवाई करेगा। प्रोमोशन में आरक्षण का मायावती सरकार ने फैसला लिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिन्हें मायावती सरकार के फैसले के कारण प्रोमोशन मिला था उसे खत्म कर उन्हें दोबारा पुराने पद पर डिमोट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद यूपी सरकार ने उक्त जवाब पेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट में कंटेप्ट पिटिशन दाखिल कर कहा गया था कि 2007 में यूपी सरकार ने एससी और एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन का फैसला लिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिए फैसले में कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा स्वाने मामले में दिए गए लार्जर बेंच के फैसले के हिसाब से होगा और यूपी सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था। इसके बाद सिंचाई विभाग के दो इंजीनियरों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी और कहा था कि कोर्ट के ऑर्डर के बावजूद अभी तक सरकार ने लिस्ट जारी नहीं की है। इस ऑर्डर के बाद जिन्हें कोर्ट ऑर्डर के मुताबिक प्रमोशन का अधिकार बनता है उनकी लिस्ट बने और जिनका प्रमोशन नहीं बनता था, बावजूद इसके 2007 के राज्य सरकार के फैसले के हिसाब से जिन्हें प्रमोशन दिया गया उन्हे डिमोशन किया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

Navbharat Times