यूक्रेन युवती मौतः हादसे के 1 घंटे बाद तक चलती रहीं सांसे, समय से अस्पताल नहीं पहुंची तो हो गई मौत

आगरा
आगरा एक्सप्रेस-वे पर सोमवार की सुबह हुए हादसे में यूक्रेन नागरिक युवती की मौत पुलिस महकमे की लापरवाही से हुई। हादसे के बाद युवती लगभग 1 घंटे तक जिंदा रही। वह तड़पती रही और उनकी जिंदगी का गोल्डन पीरियड खोती रही। पुलिसवाले खड़े देखते रहे पर उन्हें अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई। घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे एक टीवी के दो पत्रकारों सबसे मिन्नतें करते रहे और घायलों के साथ उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए भटकते रहे।

दोनों पत्रकार नोएडा में मेट्रो उद्घाटन की कवरेज करने आए थे। उनकी नजर पर क्षतिग्रस्त एसयूवी पर पड़ी। उन लोगों ने स्थानीय लोगों की मदद से पीड़ितों को गाड़ी से बाहर निकाला।

चल रहीं थी सांसे
पत्रकार शिव ने बताया कि सभी घायल बुरी तरह से कार के अंदर फंसे थे। यूक्रेन नागरिक दो युवतियां जिंदा थीं। युवती कोबालोवा के सिर में गंभीर चोट आई थी। वह बेहोश थी लेकिन उनकी सांस चल रही थी। उन लोगों ने कार के ड्राइवर वैभव शर्मा को बाहर निकाला लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। पीछे बैठा गाइड अंकित जिंदा था।

घेराबंदी करते रहे पर मदद नहीं की

शिव का आरोप है कि जब वे लोग एक्सप्रेस-वे पर घायलों को कार से बाहर निकाल रहे थे, वहां पट्रोल कर रहे पुलिसवाले उनकी गाड़ी से पहुंचे। उन लोगों ने घटना स्थल की घेराबंदी शुरू कर दी। पत्रकारों का आरोप है कि उन लोगों ने पुलिसवाों से घायलों को अस्पताल ले जाने को कहा लेकिन उन्होंने कहा कि यह उनका काम नहीं है।

100 नंबर से लेकर पुलिस अधिकारियों तक, किसी ने भी नहीं दिया रेस्पॉन्स
पत्रकार ने बताया कि उन लोगों ने 100 नंबर पर, एसएसपी और कई दूसरे पुलिस अधिकारियों को फोन किए लेकिन किसी ने भी कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। जब पुलिसवालों और दूसरे किसी भी पुलिस अधिकारियों से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला तो उन लोगों ने फैसला लिया कि वे खुद ही दोनों यूक्रेन युवतियों को उनकी कार से अस्पताल ले जाएंगे। उन्होंने बताया कि चूंकि अंकित के सिर्फ पांव में थोड़ी चोट आई थी और वह होश में था इसलिए उसे अस्पताल ले जाने की जल्दी नहीं थी।

अस्पताल ने भी नहीं किया भर्ती

पत्रकार अजेंद्र ने बताया कि कोबालोवा के सिर से बहुत खून बह रहा था। वे लोग उन्हें लेकर एक प्राइवेट अस्पताल गए। अस्पताल ने उन्हें बिना पुलिस की अनुमति के युवतियों को भर्ती करने से मना कर दिया। वे लोग आनन फानन में उन्हें लेकर मथुरा पहुंचे। उन लोगों को रास्ता नहीं पता था इसलिए रास्ते में एक पुलिस चौकी से संपर्क किया। उन लोगों को रास्ता पूछने के लिए 8 जगह कार रोकनी पड़ी।

लोगों ने भी नहीं की मदद

उन लोगों ने कई लोगों से कहा कि वह उनके साथ आ जाएं ताकि वे जल्दी अस्पताल पहुंच सकें। पत्रकारों का आरोप है कि एक पुलिसवाले ने तो यहां तक कहा कि वे लोग उन्हें अस्पताल ले जा रहे हैं इसलिए यह उनका सिर दर्द हैं पुलिसवालों का नहीं। जब इंटरनेट नेटवर्क मिला तो उन लोगों ने ऑनलाइन मैप पर पास का अस्पताल खोजा। जब वे लोग अस्पताल पहुंचे तो कोबालोवा ने दिया।

अब कह रहे जांच कराने की बात
दो अन्य पत्रकारों विमल कुमार मिश्रा और पवन गौतम से अजेंद्र और शिव ने संपर्क किया। विमल और पवन ने पूरी घटना धार्मिक कार्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी को बताई। जिसके बाद उन्होंने मथुरा के जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया। डीएसपी महावन अशोक दुबे ने कहा कि पुलिसवालों ने अगर घायलों को अस्पताल ले जाने की मदद नहीं की तो यह बहुत ही गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच कराई जाएगी। वहीं एसएसपी स्वप्निल मनगेन से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

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