म्यांमार के सेना प्रमुख ने कहा- जब तक वास्तविक नागरिक स्वीकार नहीं करते, रोहिंग्याओं की वापसी नहीं होगी
|यंगून/मनीला
रोहिंग्या संकट जल्द सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। म्यांमार के सेना प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि जब तक म्यांमार के ‘वास्तविक नागरिक’ उन्हें स्वीकार नहीं करते, रोहिंग्या शरणार्थी रखाइन प्रांत में वापस नहीं आ सकते। सेना प्रमुख के इस बयान से सरकार के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों की स्वदेश वापसी शुरू करने के संकल्प पर सवाल खडे़ हो गए हैं।म्यांमार सेना द्वारा अगस्त के अंत में चलाए गए अभियान के बाद से छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
रोहिंग्या संकट जल्द सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। म्यांमार के सेना प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि जब तक म्यांमार के ‘वास्तविक नागरिक’ उन्हें स्वीकार नहीं करते, रोहिंग्या शरणार्थी रखाइन प्रांत में वापस नहीं आ सकते। सेना प्रमुख के इस बयान से सरकार के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों की स्वदेश वापसी शुरू करने के संकल्प पर सवाल खडे़ हो गए हैं।म्यांमार सेना द्वारा अगस्त के अंत में चलाए गए अभियान के बाद से छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
म्यांमार के कट्टरपंथी सेना प्रमुख मिन आंग हलाइंग ने उत्पीड़न के सभी आरोपों को नकार दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सैनिक केवल रोहिंग्या आतंकियों को ही निशाना बना रहे हैं। मिन ने गुरुवार को अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि रोहिंग्या समुदाय के लोगों की स्वदेश वापसी को पहले स्थानीय रखाइन बौद्धों द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।
उधर, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के नेताओं ने गुरुवार को अपने बयान में म्यांमार की सेना पर लगे अत्याचार के आरोपों पर चुप्पी साधे रखी। इन नेताओं ने उत्तरी रखाइन प्रांत में शांति एवं सौहार्द के म्यांमार के प्रयासों का समर्थन ही किया। जबकि म्यांमार की सेना की कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने जातीय सफाया करार दिया है।
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