मोदी सरकार के पहले 6 महीनों में 118% बढ़े रोजगार के मौके

नई दिल्ली

मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया के जरिये देश में रोजगार के अवसर पैदा करने पर सरकार के फोकस का फायदा होता दिख रहा है। पिछले फाइनेंशियल ईयर की दूसरी और तीसरी तिमाहियों (जुलाई से दिसंबर) के दौरान रोजगार के 2.75 लाख नए अवसर सामने आए। साल 2013-14 की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.26 लाख का था। इस तरह पिछले फाइनेंशियल ईयर में जुलाई से दिसंबर के दौरान इकनॉमी के आठ प्रमुख सेक्टर्स में रोजगार के मौके बनने में 118 पर्सेंट का इजाफा हुआ। लेबर मिनिस्ट्री के एक सर्वे में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले छह महीनों की यह तस्वीर पेश की गई है।

हालांकि तिमाही दर तिमाही आधार पर देखें तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान 1.77 लाख नौकरियों के अवसर ही बन सके, जो इससे पहले वाली तिमाही के 1.58 लाख के आंकड़े या 2014-15 के अप्रैल-जून क्वॉर्टर के 1.82 लाख के आंकड़े से काफी कम है। पिछले साल 26 मई को नई सरकार बनने के बाद प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने जून में एनडीए सरकार का जो 10 बिंदुओं वाला आर्थिक एजेंडा सामने रखा था, उसमें देश में रोजगार सृजन की रफ्तार बढ़ाने की बात भी शामिल थी।

इसके तहत सरकार ने मेक इन इंडिया कैंपेन शुरू किया। इसका मुख्य जोर इकनॉमी के 25 सेक्टर्स पर है ताकि रोजगार के मौके बनाए जाएं और लोगों का कौशल बेहतर किया जाए। इसके अलावा, सरकार ने एक स्किल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री भी बनाई ताकि लाखों युवाओं को रोजगार पाने लायक कौशल सिखाया जा सके। अनुमान है कि हर साल देश की वर्कफोर्स में 1.2 करोड़ युवा शामिल होते हैं और इनमें से 5 पर्सेंट के आसपास ही उपयुक्त कौशल वाले होते हैं।

लेबर मिनिस्ट्री के 24वें क्वॉटर्ली सर्वे में आठ सेक्टर्स की 2077 सैंपल यूनिट्स को कवर किया गया था। इन सेक्टर्स में अपैरल्स, लेदर, मेटल्स, ऑटोमोबाइल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, ट्रांसपोर्ट, आईटी/बीपीओ और हैंडलूम/पावरलूम शामिल हैं।

सर्वे के मुताबिक, सबसे ज्यादा रोजगार के मौके आईटी/बीपीओ सेक्टर में बने। इसमें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान 89,000 नई नौकरियां सामने आईं। इसके बाद 79,000 जॉब्स के आंकड़े के साथ टेक्सटाइल्स और अपैरल्स का नंबर रहा। बुधवार को जारी किए गए सर्वे में कहा गया, ‘दिसंबर 2014 तक की तिमाही में डायरेक्ट वर्कर्स के एम्प्लॉयमेंट में 1.01 लाख का इजाफा हुआ, वहीं कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की हायरिंग 16,000 बढ़ी। इस वर्कफोर्स का काफी हिस्सा ऐसी यूनिट्स में लगा था, जो डोमेस्टिक मार्केट के लिए उत्पाद या सेवाएं मुहैया करा रही हैं। अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर के दौरान नॉन-एक्सपोर्टिंग यूनिट्स में एम्प्लॉयमेंट 82,000 बढ़ा जबकि एक्सपोर्टिंग यूनिट्स के मामले में यह आंकड़ा 35,000 रहा।’

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