मैन्युफैक्चरिंग से ज्यादा रोजगार पैदा करने पर फोकस: सुरेश प्रभु

रजत अरोड़ा/रुचिका चित्रवंशी/कीर्तिका सुनेजा, नई दिल्ली
रेल मंत्री से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बने सुरेश प्रभु ने कहा है कि उनका फोकस भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनाने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के जरिये ज्यादा-से-ज्यादा रोजगार पैदा करने पर होगा। प्रभु ने ईटी से बातचीत में कहा कि वह भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, ताकि रोजगार के क्षेत्र में ज्यादा ग्रोथ हो।

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प्रतिस्पर्धा के नुकसान में भारत के निर्यात को काफी चोट पहुंची है और अब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इन चिंताओं को फॉरन ट्रेड पॉलिसी 2015-20 की मौजूदा समीक्षा में शामिल किए जाने की जरूरत है। जुलाई में एक्सपोर्ट ग्रोथ घटकर 8 महीने के सबसे निचले स्तर यानी 3.94 फीसदी पर पहुंच गई। चीन के साथ बढ़ता ट्रेड घाटा एक और परेशानी है।

मंत्री का यह भी कहना है कि डब्ल्यूटीओ से बातचीत में उनका पिछला अनुभव भी काम आएगा। भारत लंबे समय से अनाजों की पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान के अलावा विकासशील देशों में आयात में अचानक बढ़ोतरी के मद्देनजर किसानों के हितों की रक्षा के लिए विशेष सुरक्षा कवर की मांग लंबे समय से करता रहा है और उसे इस पर प्रगति का इंतजार है।

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दूसरी तरफ, भारत पर विकसित देशों की तरफ से ई-कॉमर्स जैसे नए मुद्दों पर चर्चा करने का दबाव है और इसके ज्यादातर ब्रिक्स देश निवेश से जुड़े मुद्दों पर बातचीत शुरू करेंगे। प्रभु ने कहा, ‘मेरा फोकस भारत में बिजनस करने से जुड़ी तमाम बाधाओं को हटाना और यह पक्का करना होगा कि हमें आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए ज्यादा से ज्यादा एफडीआई मिले। प्रधानमंत्री की भारत को लेकर जो सोच है, उसे हम लागू करेंगे। मेक इन इंडिया प्राथमिकता है, जिसे हम जल्द हकीकत में बदलेंगे।’

सरकार रिटेल, कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टरों में एफडीआई नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है। सरकार ने पिछले साफ डिफेंस, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट आदि सेक्टरों में एफडीआई नियमों में ढील दी थी। प्रभु की अगुवाई में अब एफडीआई प्रस्तावों पर विचार के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रमोशन नोडल डिपार्टमेंट है।

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