मिनी सिविक सेंटर के निर्माण पर ब्रेक!
|मिंटो रोड इलाके में अपने अधिकारी आवास तोड़कर वहां मिनी सिविक सेंटर (कमर्शल कॉम्प्लेक्स) बनाने की एमसीडी की योजना सवालों के घेरे में आ गई है। राजनिवास ने कहा है कि जब तक वहां रहने वाले अफसरों को वैकल्पिक आवास नहीं दिया जाता, तब तक वहां ये सेंटर न बनाया जाए। इस प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर एमसीडी इनकम टैक्स विभाग से एमओयू साइन करने वाली है।
एमसीडी मुख्यालय सिविक सेंटर के नजदीक ही नॉर्थ एमसीडी के 41 सिंगल स्टोरी फ्लैट्स हैं। इनमें से 35 फ्लैट्स में अधिकारी रह रहे हैं, बाकी खाली पड़े हैं। एमसीडी का कहना था कि चूंकि यह फ्लैट्स दशकों पुराने हैं, इसलिए इन फ्लैट्स को तोड़कर वहां कमर्शल कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट इस तरह से तैयार किया गया कि कॉम्प्लेक्स बनाने में एमसीडी को एक भी पैसा न खर्च करना पड़े और यह प्रोजेक्ट सालों तक एमसीडी को धनराशि मुहैया कराता रहे। सूत्र बताते हैं कि करीब तीन एकड़ में बने इस रिहायशी इलाके को तोड़कर वहां 19 मंजिला कमर्शल कॉम्प्लेक्स बनेगा। प्रोजेक्ट पर करीब 58 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके निर्माण के लिए नॉर्थ एमसीडी की इनकम टैक्स विभाग से बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है। वही सारा खर्च अदा करेगा। प्रोजेक्ट बनने के बाद इनकम टैक्स वाले इसका इस्तेमाल करेंगे। जो रकम उन्होंने निर्माण के लिए दी है वह किराए के रूप में कटती रहेगी। बाद में सारा बकाया खत्म होने के बाद हर माह नॉर्थ एमसीडी को एकमुश्त धनराशि मिलती रहेगी। इंजीनियर विभाग के अधिकारी दावा कर रहे थे कि प्रोजेक्ट को दो साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन प्रोजेक्ट पर राजनिवास ने सवालिया निशान लगा दिए हैं।
सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर आवास में रह रहे आला अफसरों ने गुजारिश की थी कि एमसीडी इस आवास को तोड़ तो रहा है, लेकिन उनके लिए वैकल्पिक आवास उपलब्ध नहीं करवा रहा है, जिसके चलते उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अफसरों का कहना है कि इस आवासीय जमीन का लैड यूज बदले जाने के लिए एमसीडी ने डीडीए को अंडरटेकिंग दी है कि पहले अफसरों को वैकल्पिक आवास दिए जाएंगे तभी प्रोजेक्ट शुरू होगा, लेकिन इसके बजाय तीन माह के भीतर आवास खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है। अफसरों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से इस मसले पर गुहार लगाई। सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल ने कमिश्नर को पत्र लिख दिया है कि अफसरों से तब तक आवास न खाली करवाएं जाएं, जब तक उन्हें वैकल्पिक आवास नहीं दिए जाते। एलजी ने यह भी कहा है कि वैकल्पिक आवास मिलने के बाद ही इस जमीन का लैंडयूज बदला जाएगा। गौरतलब है कि इस आवास में नॉर्थ एमसीडी के इंजीनियर इन चीफ, सीनियर डॉक्टर्स, कई डिप्टी कमिश्नर, चीफ इंजीनियर व दूसरे सीनियर अधिकारी सालों से रह रहे हैं और उन्हें अपने खर्च पर घरों को रहने लायक बना रखा है।
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