महिला बैंक के SBI में विलय के साथ शुरू होंगे वित्तीय सुधार

धीरज तिवारी, नई दिल्ली
सरकार जल्द ही फाइनैंशल सेक्टर में कई सुधार कर सकती है। इसकी शुरुआत भारतीय महिला बैंक का देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में विलय करनेके साथ होगी। अगले दो से तीन महीनों में कुछ और महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं, जिनमें सरकारी बैंकों को 2017-18 में फंडिंग की शर्तें तय करना, सरकारी बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों के कंसॉलिडेशन का रोडमैप और बैड लोन की प्रॉब्लम को सुलझाने के कदम शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘भारतीय महिला बैंक के साथ एसबीआई का मर्जर कुछ दिनों में हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि दूसरे बैंकों में कंसॉलिडेशन के मामले को बैंक्स बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) की सहमति से आगे बढ़ाने की कोशिश होगी। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार का काम सिर्फ दो या इससे अधिक बैंकों को मर्जर की बातचीत के लिए एक साथ लाना है। मर्जर का फैसला बैंकों को करना होगा और उन्हें ही इसका प्रोसेस भी बढ़ाना होगा।’

उन्होंने बताया कि सरकारी बैंकों के बीच मर्जर के लिए कम-से-कम 6 से 7 कॉम्बिनेशंस पर विचार चल रहा है। 2016 में सरकार के कहने के बाद एसबीआई ने अपने पांच सहयोगी और भारतीय महिला बैंक को मिलाने का इरादा जताया था। पिछले महीने कैबिनेट ने मर्जर को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने गजट में बताया था कि 1 अप्रैल 2017 से इन पांचों बैंकों की पूरी अंडरटेकिंग्स को एसबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

भारतीय महिला बैंक को एसबीआई में मर्जर करने के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था, ‘अभी इस बारे में बात हो रही है।’ सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने को लेकर भी खुला नजरिया रखती है। वह कई टुकड़ों में यह काम कर सकती है। इसमें बैंक की तरफ से फॉलो ऑन ऑफर लाना भी शामिल है।

ऊपर जिस अधिकारी का जिक्र किया गया है, उन्होंने बताया, ‘हम आईडीबीआई को पूंजी दे रहे हैं। बैंक का बैड लोन पोर्टफोलियो पर दूसरे सरकारी बैंकों की तुलना में कहीं ज्यादा कंट्रोल है। हमें पूरा भरोसा है कि इस बैंक में हिस्सेदारी लेने के लिए निवेशकों की कमी नहीं होगी।’ वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों को पूंजी देने की शर्तों को भी आखिरी रूप दे रहा है। इस वित्त वर्ष में सरकार ने अपने बैंकों को 10,000 करोड़ रुपये देने की बात कही है।

वित्त मंत्रालय के एक और अधिकारी ने बताया, ‘हमने बैंकों से पहले ही नॉन-कोर ऐसेट्स बेचने के लिए कह दिया है। दिलचस्प बात यह है कि पैसा उन्हीं बैंकों को मिलेगा, जिनका परफॉर्मेंस अच्छा है। जो बैंक पीछे रह गए हैं, उन्हें अपनी बिजनस स्ट्रैटिजी में बदलाव करना होगा या अपना साइज बड़ा करना होगा।’ बिजनस स्ट्रैटिजी बनाने और फंड जुटाने की योजना पर बैंकों के साथ बीबीबी भी मिलकर काम करेगा।

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