भारत की अर्थव्यवस्था 2018-19 में और तेजी से आगे बढ़ेगी: आरबीआई गवर्नर

वॉशिंगटन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि और तेज होने की उम्मीद है। पटेल ने वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्त समिति की बैठक में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि , सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और कृषि फसल के रेकॉर्ड स्तर पर रहने से बल मिला है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वर्ष 2017-18 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि एक साल पहले के 7.1 प्रतिशत से कुछ हल्की हो कर 6.6 प्रतिशत पर आ गई, लेकिन निवेश की मांग बढ़ने से दूसरी छमाही में रफ्तार में मजबूती लौट आई। पटेल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया। विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि, क्षमता उपयोग में बढ़ोत्तरी, सेवा क्षेत्र की मजबूत गतिविधियां और रेकॉर्ड फसल ने प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने कहा , ‘कई कारक 2018-19 में वृद्धि दर में तेजी लाने में मददगार होंगे। स्पष्ट संकेत है कि अब निवेश गतिविधियों में सुधार बना रहेगा।’ पटेल ने कहा कि वैश्विक मांग में सुधार हुआ है, जिससे निर्यात और नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा और वित्त वर्ष 2018-19 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि बढ़कर 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। पटेल ने कहा कि नवंबर 2016 से उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति सामान्य तौर पर 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे ही रही। सब्जियों की कीमतों में अचानक तेजी से दिसंबर में मुद्रास्फीति चढ़कर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो कि गिरकर मार्च 4.3 प्रतिशत पर आ गई है।

यह भरोसा दिलाते हुए कि सरकार राजकोषीय मार्चे पर सूझबूझ से चलने को प्रतिबद्ध है, गवर्नर ने पटेल ने कहा कि कर राजस्व में तेजी और सब्सिडी को युक्तिसंगत होने से सरकार सकल राजकोषीय घाटे (जीएफडी) को कम करके 2017-18 में जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर ले आई है। इसके लिए सार्वजनिक निवेश जरूरतों और सामाजिक क्षेत्र में व्यय के साथ कोई समझौता नहीं किया गया। 2018-19 में सकल राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है। पटेल ने कहा कि निर्यात के मुकाबले आयात में वृद्धि से चालू खाता घाटा (कैड) 2016-17 में 0.7 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 के पहले 9 महीने में 1.9 प्रतिशत हो गया।

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