बुलेट ट्रेन: काम को रफ्तार देने के लिए बनेगी अलग कंपनी
| रेल मंत्रालय मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के काम में तेजी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की तर्ज पर एक अलग कंपनी का गठन करेगा। इस कंपनी के जिम्मे एनडीए सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण और संचालन करना होगा।
जनवरी में कंपनी का रजिस्ट्रेशन होगा। शुरू में कंपनी का रजिस्ट्रेशन इंडियन रेलवे के नाम से होगा। बाद में महाराष्ट्र और गुजरात सरकारों की इक्विटी भागीदारी के सहारे फर्म को जॉइंट वेंचर बनाया जाएगा। जॉइंट वेंचर में रेलवे का इक्विटी योगदान 50 फीसदी रहने की उम्मीद है और महाराष्ट्र एवं गुजरात का योगदान 25-25 फीसदी हो सकता है।
कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में एक सर्च और सिलेक्शन पैनल बनेगा जिसमें आर्थिक मामलों के विभाग और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव शामिल होंगे जो मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य फंक्शनल डायरेक्टरों का चुनाव करेंगे।
इस प्रॉजेक्ट की संभावित लागत 97, 636 करोड़ रुपये हैं और सात सालों के अंदर इसे पूरा किया जाना है। पूरे प्रॉजेक्ट का 81 फीसदी फंड जापान देने के लिए राजी हो गया है और बाकी संसाधन रेलवे एवं महाराष्ट्र और गुजरात राज्य सरकारें जुटाएंगी। 505 किमी. लम्बे इस कॉरिडोर को भविष्य में बढ़ाकर मुंबई से दिल्ली को भी जोड़ने की संभावना है। रेलवे को दिल्ली-मुंबई हाई स्पीड कॉरिडोर के संभावना अध्ययन की शुरुआती रिपोर्ट मिल चुकी है।
मुंबई से साबरमती/अहमदाबाद के बीच कॉरिडोर पर 12 स्टेशन बन सकते हैं और किराया फर्स्ट एसी के किराये का 1.5 गुना होगा।
नीति आयोग ने मुंबई में इसका टर्मिनल स्टेशन बांद्रा कुरला कम्पलेक्स (बीकेसी) में बनाने का सुझाव दिया है ताकि स्टेशनों पर गगनचुंबी इमारतों का निर्माण किया जा सके।
अंग्रेजी में भी पढ़ें: Bullet train put on fast track with separate co
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