बीजेपी: प्रत्याशियों को तलाशने के लिए ‘फौज’ लगी

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली
निगम चुनाव में प्रत्याशी तलाशने के लिए बीजेपी के नेताओं की ‘फौज’ लगी हुई है। जो नाम शॉर्टलिस्ट किए जा रहे हैं, उनमें कुछ मुस्लिम वर्ग के नेता भी हैं। पार्टी का कहना है कि प्रत्याशियों में युवाओं की संख्या बहुत अधिक होगी और 65 साल या उससे ऊपर के किसी नेता या कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया जाएगा। प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने की जिम्मेदारी इलेक्शन कमिटी की ही होगी।

बीजेपी ने निगम चुनाव में सभी वर्तमान पार्षदों और उनके रिश्तेदारों को टिकट देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि युवा चेहरों को आगे लाया जाएगा। लेकिन सवाल उठ रहे थे कि प्रत्याशी तलाशने की कोशिशें ही नहीं हो रही है, जबकि 27 मार्च से नामांकन शुरू हो रहे हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी दावा कर रहे हैं कि टिकट पाने के लिए 30 हजार से अधिक बायोडेटा आए हुए हैं, लेकिन पार्टी कार्यालय सूत्रों के अनुसार उसके पास करीब 16,300 बायोडेटा ही पहुंचे हैं। बताते हैं कि इन बायोडेटा को ऑनलाइन कई नेताओं को पहुंचा दिया गया है और उनसे कहा गया है कि वह वॉर्ड अनुसार संभावित प्रत्याशियों की सूची बनाकर भेजें।

अध्यक्ष मनोज तिवारी के अनुसार संभावित प्रत्याशी चुनने में सभी सातों सांसदों, कोर कमिटी के सदस्यों के अलावा जिला व वॉर्ड अध्यक्ष से भी सलाह ली गई है। उनके आधार पर अधिकतर वॉर्ड के संभावित प्रत्याशियों की लिस्ट तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि आलकमान के आदेश के अनुसार 25 से 45 साल के युवाओ को टिकट देने में खासी तरजीह दी जा रही है और जो निर्णय है, उसके अनुसार 65 साल से ऊपर के किसी नेता या कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संभावित प्रत्याशियों में मुस्लिम वर्ग के लोग भी लिस्ट में हैं। उनको भी प्रत्याशी बनाने पर विचार किया जा सकता है।

सूत्र बताते हैं कि इलेक्शन कमिटी ही सभी 272 प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट तैयार करेगी। इस कमेटी में सातों सांसद, तीनों महामंत्री, तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, दिल्ली प्रभारी तो शामिल हैं ही साथ ही कुछ और नाम भी जोड़े जा सकते हैं। कल बीजेपी का रामलीला मैदान में पंच परमेश्वर सम्मेलन है, उसके बाद प्रत्याशी चुनने की कवायद शुरू हो जाएगी। अभी तक की जो जानकारी है, उसके अनुसार पार्टी वर्तमान पार्षद या उसके रिश्तेदार को टिकट न देने पर अडिग है। अगर कुछ समीकरण बदले तो इस निर्णय पर पुनर्विचार हो सकता है।

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