बिसाहड़ा कांड : सीबीआई जांच से इनकार

वरिष्ठ संवाददाता, इलाहाबाद/ग्रेनो

बिसाहड़ा कांड की जांच कर रही यूपी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराए जाने से साफ इनकार कर दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा बुधवार को हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस घटना की निष्पक्ष जांच कर रही है। अभियुक्त पुलिस की जांच को भटकाने और ट्रायल में विलंब के इरादे से इस मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस राघवेंद्र की खंडपीठ ने याची को सरकार के जवाब का प्रति उत्तर (रिजॉइंडर) दाखिल करने का मौका देते हुए मामले की सुनवाई के लिए चार मई की तारीख तय की है। बिसाहड़ा में पिछले साल 28 सितंबर की रात बीफ के शक में इखलाक नामक शख्स की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। घटना के मुख्य आरोपी के पिता संजय राणा और सुराज सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है। साथ ही कहा है कि पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र रद्द किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे राजनीतिक रंजिश के कारण इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि वह भारतीय जनता पार्टी का सदस्य है। यह भी कहा गया कि जांच में पुलिस मनमानी कर रही है। फरेंसिक रिपोर्ट के बिना आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब भी मांगा था। प्रदेश सरकार ने बुधवार को इस मामले में जवाब दाखिल कर बताया कि घटना 28 सितंबर 2015 की रात 10:30 बजे की है। इस मामले की एफआईआर उसी रात 11:30 बजे लिखाई गई। अभियुक्तों के नाम मृतक इखलाक की पत्नी द्वारा दर्ज कराया गया, जो घटना की चश्मदीद गवाह है। इस घटना में इखलाक का बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हुआ है जो कि चश्मदीद गवाह है। पीड़ितों के पास अभियुक्त पर झूठा मुकदमा दर्ज कराकर फंसाने की कोई वजह नहीं है। पुलिस ने निष्पक्ष जांच की है और चश्मदीद गवाहों के बयानों के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया गया है। इसलिए अभियुक्तों द्वारा सीबीआई जांच की मांग करना अनुचित है और ऐसा सिर्फ मामले को लटकाने के इरादे से किया जा रहा है। इस मामले में केंद्र की ओर से जवाब दाखिल नहीं हुआ। केंद्र सरकार की ओर से एक सप्ताह का समय मांगा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीजेपी नेता संजय राणा के वकील विजित सक्सेना ने बताया कि सीबीआई जांच के लिए 12 फरवरी को हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। 16 फरवरी को हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए केंद्र व यूपी सरकार को सीबीआई जांच कराने के संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा था। याचिकाकर्ता बीजेपी नेता संजय राणा के बेटे विशाल पर आरोप है कि उसने अपने साथी शिवम के साथ गांव के मंदिर पर जाकर अनाउंसमेंट किया था कि बड़े ट्रांसफार्मर के पास किसी ने गाय काट दी है। इसी आधार पर आरोपियों ने इखलाक के घर पर हमला किया। कोर्ट में दाखिल संजय राणा की याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिसाहड़ा कांड में बेकसूरों को फंसाया गया है। तथ्यों को छुपाया जा रहा है। राज्य पुलिस मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से नहीं कर रही है। राज्य की पुलिस सत्ताधारी एसपी सरकार के इशारे पर ऐसा कर रही है। वहीं कोर्ट में काउंटर दाखिल करने से पूर्व यूपी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि अगर इलाहाबाद हाई कोर्ट को लगे कि सीबीआई जांच प्रासंगिक है तो वह अदालत के आदेश का पालन करेगी। अदालत को लगे कि जांच में कुछ अधूरा रह गया है तो सरकार तत्काल संज्ञान लेगी और निष्पक्ष जांच की जाएगी। बिसाहड़ा में 28 सितंबर 2015 की रात गौकशी के शक में इखलाक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। साथ ही उनके बेटे दानिश को बुरी तरह घायल कर दिया था। आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए आरोपी पक्ष के लोगों ने अगले दिन आगजनी व पथराव किया था।

केंद्र सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया चल रही है और इसे दो दिनों के अंदर दाखिल किया जा सकता है। ः विजित सक्सेना, आरोपियों के वकील

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