बसों के आगे बेबस सरकार!

रामेश्वर दयाल

दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए बसें खरीदने का मसला दिल्ली सरकार के लिए उलझन का सबब बना हुआ है। दिल्ली सरकार को अपने डीटीसी के बेड़े के लिए नई बसें खरीदने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ है। सरकार तनाव में है कि अगर बसें न खरीदी गईं तो भविष्य में उसका ऑड-ईवन फार्म्युला भी संकट में पड़ सकता है। कई विकल्पों पर विचार कर रही है दिल्ली सरकार।

दिल्ली की आप सरकार ने सत्ता में आने के बाद ही परिवहन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए करीब 1000 बसें खरीदने की घोषणा की थी। इस साल जनवरी में भी जब ऑड-ईवन फार्म्युला लागू किया गया था तो सरकार ने माना था कि इसे सफल बनाने के लिए बसें खरीदी जानी जरूरी है, ताकि डीटीसी के माध्यम से लोगों को सुचारू परिवहन सुविधा मुहैया हो सके। सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर सरकार लगातार मेहनत कर रही है। सरकार का एक प्रतिनिधमंडल बसें खरीदने के लिए विदेश का दौरा भी कर आया है, इसके अलावा देश की बसें बनाने वाली कंपनियों से भी मैराथन बातचीत चल रही है, लेकिन विभिन्न कारणों से मसला सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। सरकार चिंता में है कि बसें न खरीदी गई तो आगामी दिनों में भी ऑड-ईवन फार्म्युला लागू करना मुश्किल हो सकता है।

सूत्र बताते हैं कि बसों की खरीदारी सरकार के लिए बड़ा मुद्दा नही है। असल में खरीदारी के बाद बसों के रखरखाव का मसला चिंता का सबब बना हुआ है। कारण यह है कि डीटीसी के पास बसों के रखरखाव के लिए एक्सपर्ट इंजीनियर और स्टाफ नहीं है और वह चाहती है कि जिस भी कंपनी से बसें खरीदी जाए, वह कम से कम सात साल तक बसों का रखरखाव भी करे। लेकिन सरकार के साथ समस्या यह आ रही है कि देश की बस कंपनियां जितनी धनराशि में बसें बेचने को तैयार हैं, उतनी ही धनराशि वे बसों के रखरखाव के लिए मांग रही है, इसलिए सरकार की परेशानी लगातार बढ़ रही हैं। दिल्ली सरकार के एक आला अधिकारी के अनुसार देश में दो कंपनियां ही बसें बेचने को तैयार हैं। इन दोनों कंपनियों ने पूल बना लिया है, इसलिए सरकार को रेट तय करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बताते हैं कि इस समस्या से निजात के लिए सरकार ने चीन से भी बैटरी बसें खरीदने का मन बनाया था लेकिन मामला उनके रखरखाव पर आकर अटक गया। इस मसले पर दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा का कहना है कि सरकार बसों की खरीद को लेकर गंभीर कवायद में जुटी है। संभव है कि आगामी दिनों में दिल्ली में नई बसें चलती दिख जाएं। यह पूछे जाने पर बसें कहां से खरीदी जाएंगी, उन्होंने कहा कि इस बाबत जल्द फैसला ले लिया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि सरकार बड़ी बसों के बजाय मिनी बसें भी खरीदने पर विचार कर रही है। सरकार इस मूड में भी है कि कलस्टर बसों के ही समान दूसरे ग्रुप भी दिल्ली में उतारे जाएं और उनके माध्यम से सड़कों पर बसों को लाया जाए। फिलहाल तो बसों की खरीद सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

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