बवाल के बाद राहत, इरडा ने घटाईं थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम की दरें
|इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) ने एक नोटिफिकेशन जारी करके कहा कि थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस की प्रीमियम दरें कम होंगी। नई दरें टू-वीइलर, कार और ट्रकों पर लागू होंगी। नियामक ने तीन सप्ताह पहले जारी 2017-18 की दरों को संशोधित करते हुए घटा दिया है। मोटर गाड़ियों और दो-पहिया वाहनों पर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम 40 प्रतिशत बढ़ाया गया था। इसको लेकर काफी हो-हल्ला हुआ, जिसके बाद फैसले में फेरबदल किया गया। अब यह बढ़ोतरी केवल 16 से 28 प्रतिशत के बीच ही होगी। नई दरें एक अप्रैल से प्रभावी मानी जाएंगी।
कितना घटा प्रीमियम ?
► मीडियम कारों (1,000 सीसी से 1,500 सीसी) के लिए प्रीमियम को घटाकर 2,863 रुपये कर दिया गया है। 28 मार्च को इसे 3,132 रुपये रखने की घोषणा की गई थी।
► 1,500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता के कारों के लिए प्रीमियम की दर को 8,630 से घटाकर 7,890 रुपये कर दिया गया है।
► 150 सीसी या अधिक की इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए भी प्रीमियम दरें घटाई गई हैं।
► ट्रक की ज्यादातर श्रेणियों में भी प्रीमियम दरें कम की गई हैं।
क्या है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस?
बाइक, कार, ट्रक या किसी भी मोटर इंश्योरेंस के दो भाग होते हैं: थर्ड पार्टी कवर और ओन डैमेज कवर। अगर आपकी गाड़ी से टकराकर किसी की जान-माल का नुकसान हो जाए तो उसकी भरपाई थर्ड पार्टी कवर से होता है। ओन डैमेज कवर आपकी अपनी गाड़ी या खुद के नुकसान की भरपाई के लिए है। दोनों इंश्योरेंस मिलाकर कॉम्प्रिहैंसिव कवर कहलाता है। अगर कोई ओन डैमेज कवर ना ले तो भी उसे थर्ड पार्टी कवर हर हाल में लेना होता है। इसका प्रीमियम गाड़ी के मॉडल, पावर (सीसी), कीमत और कई अन्य चीजों पर निर्भर करता है।
क्या नहीं होता कवर?
► मकैनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रेकडाउन
► किसी ऐसे शख्स का या उसके द्वारा डैमेज, जिसके पास वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस न हो।
► शराब या ड्रग्स के सेवन वाले व्यक्ति का या उसके द्वारा किया गया डैमेज।
► युद्ध, विद्रोह या न्यूक्लियर रिस्क में।
► लिमिटेशंज ऑफ यूज के उल्लंघन पर यानी अगर पर्सनल कार का इस्तेमाल टैक्सी के तौर पर हो रहा हो तब।
क्लेम गाइडेंस
► अपने इंश्योरेंस रेप्रजेंटेटिव या कंपनी को घटना की सूचना जल्द से जल्द दें।
► इंश्योरेंश कंपनी क्लेम के पहले घटना का सबूत मांगती है।
► एफआईआर, मेंटेनेंस बिल, मेडिकल बिल जरूर लें।
► इंश्योरेंस कंपनी को जांच करने का मौका दें।
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